बहराइच (उ.प्र.), 09 मार्च, 2020। अखिल भारतीय साहित्य परिषद की बहराइच शाखा द्वारा हमजापुरा स्थित स्थानीय श्री जानकी मंदिर में होली उत्सव के सुअवसर पर ‘होली’ विषयक काव्य गोष्ठी का आयोजन किया गया। गोष्ठी की अध्यक्षता सुविख्यात गज़लकार डॉ अशोक पाण्डेय ‘गुलशन’ ने की तथा संचालन परिषद के जिलासंयोजक व ओज के कवि गुलाब चंद्र जयसवाल ने किया। इस अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में दिल्ली से पधारे युवा साहित्यकार एवं कवि डॉ वेद मित्र शुक्ल ने महानगरों में व्याप्त बाजारवादी उत्सवों की अपेक्षा गाँव-कस्बों में अब भी संरक्षित लोककल्याणकारी उत्सवधर्मिता को श्रेयस्कर बताते हुए होली से जुड़े अपने अशआर कुछ यों सुनाये, “रंगों से झोली भरे हुए देखो फिर आया है फागुन, मल के गुलाल तन-मन ऊपर यारो इतराया है फागुन।”
श्रावस्ती से आये हुए शायर अकरम खान ने होली से जुड़े अपने अनुभवों को साझा करते हुए कहा, “ मोहब्बत के रंग उड़ा कर देखो, ये पिचकारी ले लो चला कर देखो।”
लोकप्रिय व वरिष्ठ कवि आशुतोष श्रीवास्तव ने पढ़ा, “देश-प्रेम की अलख जगाओ होली में, कुण्ठा, ईष्या, द्वेष भगाओ होली में। हिन्दू, मुस्लिम, सिक्ख, ईसाई क्या मतलब? सबको अपने गले लगाओ होली में।”
कवि राकेश रस्तोगी ‘विवेकी’ ने भक्तिभाव में डूबे गीतों का सुमधुर गायन करते हुए सुनाया, “रंग रहे रंगों से जग को अजब रचनाकार हो, तुम मेरे जीवन के धन हो और प्राणाधार हो।”
युवा कवि सौरभ चंद्र खरे ने मन के मर्म को समझने का आह्वान करते हुए कहा, “पग की गति पहचानी तो क्या पहचानी, मन की गति पहचानो तो मैं जानूं।”
तरन्नुम में अपने नज्मों को पढ़ते हुए शायरा तमन्ना बहराइची ने कुछ यों होली से जुड़ीं पंक्तिया पढ़ कर सबको मंत्रमुग्ध कर दिया, “दिलों को मिलाने का मौसम है, दूरियां मिटाने का मौसम है। होली का त्योहार ही ऐसा है, रंगों में डूब जाने का मौसम है।”
ओज के कवि और गोष्ठी का संचालन कर रहे परिषद के जिला संयोजक गुलाब चंद्र जयसवाल ने राष्ट्रद्रोहियों की नई पहचान को समझने की बात करते हुए कहा, “कालनेमि के वंशज सज्जन होने का दम भरते हैं, दिल में पाकिस्तान बसा षडयंत्र अनेकों करते हैं।” वरिष्ठ शायर व कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे डॉ अशोक पाण्डेय ‘गुलशन’ ने अंत में अपने शेर पढ़ते हुए कहा, “बहे गंगो-जमन की नित नयी रसधार होली में, रहे सबके दिलों में प्रेम का संचार होली में।” काव्य गोष्ठी के दौरान शायर माहिर अली ‘माहिर’, राजेश आत्मज्ञानी, राम कुमार ‘कुमार’, धनंजय सिंह, बुद्धिसागर पाण्डेय, छोटे लाल गुप्त, धर्मेन्द्र जयसवाल, आयुष, डॉ देव व्रत त्रिपाठी, आदि ने भी सहभागिता रखते हुए होली उत्सव से जुड़ी अपनी रचनाएं पढीं।
-डॉ वेद मित्र शुक्ल, नई दिल्ली
Mob: 9599798727
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