लेखनी/Lekhni-मई-जून 2020

सोच और संस्कारों की सांझी धरोहर
Brifging The Gap

” पेड़ हर वक़्त परिंदों की जगह रखता है
गाँव ने मुझसे कहा है-सुनो, आते रहना”

प्रताप सोमवंशी

अंक 127 वर्ष 14

इस अंक में- अपनी बातः प्रार्थना में जुड़े हाथ
लेखनी का बासन्ती कविता संकलनः आए महंत बसंत। ग़ज़लः असरार फल हक मज़ाज। माह विशेष संकलनः कवि और कविता। कविता धरोहरः भवानी प्रसाद मिश्र। गीतः मंजरी पांडे। कविता आज और अभीः सुधांशु कुमार मिश्र, शैलेन्द्र चौहान, नीलोत्पल, जहीर अली सिद्दकी, पंकज मिश्र अटल, उमेश पंसारी, हरिहर झा। माह की कवियत्रीः शबनम शर्मा। विमर्षः द्वंद्व और जन चेतना के चितेरे कवि फ्रेदरीको गार्सिया लोर्का-सुशील कुमार। कहानी समकालीनः शताब्दीः अशोक गुप्ता। कहानी भाषान्तरः दुर्घटना-म्यूरौंग वयूस्कन (चीनी)-अनुवादः सुशांत सुप्रिय। कहानी समकालीनः भाई- शैल अग्रवाल। कहानी समकालीनः यू.के. चाला हो ग्या?-डॉ. पुष्पलता। कहानी समकालीनः मर्डर इन गीतांजलि एक्सप्रेस।-विजय कुमार सप्पत्ति। दो लघुकथाएँः हरिहर झा, अर्जित मिश्रा। मानवता के पुजारीः महापंडित राहुल सांस्कृत्यान-संगीता श्रीवास्तव। मुद्दाः अबला तेरी यही कहानीः लड़ाई हमें खुद ही लड़नी होगी-मंजरी पांडे। हास्य-व्यंग्यः पांच-पांच सौ वाले लब्ध-प्रतिष्ठित-अशोक गौतम। पुस्तक समीक्षाः लठ्ठमेव जयते-राजेन्द्र वर्मा। करोना वायरस संक्रमणः चन्द शब्द चित्र।
In the English Section: My column: Our Adjusting world. Story Contemporary: Trees in Kew Gardens-Gurnan Gill.Favourite Forever: Fedrico Garcia Lorca. Poetry Here & Now: Shail Agrawal.

ब्रिटेन से प्रकाशित द्विमासीय, द्विभाषीय ( हिन्दी-अंग्रेजी ) पत्रिका
परिकल्पना, संपादन व संचालनः शैल अग्रवाल
संपर्क सूत्रः shailagrawal@hotmail.com
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