बड़े सोच की छोटी कहानियाँ- सुरेन्द्र अग्निहोत्री

पढ़ते-पढ़ते

ॉॉपुस्तकःबड़ी सोच की छोटी कहानियां
कहानीकारः रामजी भाई
प्रकाशकःलोकहित प्रकाशन,संस्कृति भवन,राजेन्द्र नगर, लखनऊ-226004
मूल्यः 150/-

वाचिक परम्परा का स्मरण कराती बड़ी सोच की छोटी कहानियां

भारतीय दर्शन की लोक में निहित वाचिक परम्परा का स्मरण कराती बड़ी सोच की छोटी कहानियां शिक्षा और संस्कार से ओत-प्रोत है।
इन कहानियों के लेखक रामजी भाई ने अपने सृजन का अभिमत भारतीय जनसमुदाय को रंजन एवं शिक्षा मिले यह लक्ष्य मानकर कम शब्दो में लोककथा की शैली में लोक कथाओं का अद्भुत संसार रचा है। रामजी भाई के कथा संग्रह में 51 कहानियां संग्रहित की गयी है।उनके लेखन में एक खास तरह का प्रवाह,रंजकता तथा रोचकता एक कहानी के बाद दूसरी कहानी में लगाातार बनी रहती है। लेखक के लिए कहानी लिखना अपनी अनुभूतियों और अनुभवों को कागज पर उतार देना भर नहीं है अपितु संवेदनात्मक संवेग के नागर और ग्रामीण परिवेश में निहित अन्तर को रेखांकित भी करना है। सग्रह की पहली कहानी ‘अमीर कौन‘ थ्री स्टार होटल और गरीब ग्रमीण चाय बाले के बीच मौजूद संवेदना के कहन की अदायगी अनायस हमे झकझोर देती है। वृत्तान्त शैली में लिखी गयी कहानी वृद्ध किसान का ईश्वर पर विश्वास हौसलामन्द जिन्दगी का प्रभाव पैदा करती है। भिखारी बना दानी कहानी रोजमर्रा की अमूमन अनेको बार घटने बाली एक मामूली सी घटना बिना पैसे के बस में सफर करने बाले मा। बेटे को कन्डेक्टर द्वारा बस में उतारने के प्रसंग पर भिखारी द्वारा किराये के पैसे देने पर है।इस कहानी का कहन और करूणा की अभिव्यक्ति निस्संदेह अद्भुत बनाती है। साहित्य की अमूमन यह धारण है कि करूणा ही किसी रचना की संरचना का आधार भूत कारक है और उसका आधार मनुष्यता रूपी संवेदना को बचाना है। क्रूर और आत्मजीवी हो रहे समाज में जीवन के महत्वपूर्ण प्रसंगो औा घटनाओं के इर्द-गिर्द इतिहास की पगडंडियों से लेकर भूमंडलीकरण के राजमार्ग के बीच की छटपटाहट को बडी सादगी के साथ राष्टवादी मूल्यों में पिरोकर लिखी गयी कहानी जीवनमूल्यों के प्रति गहरी ललक पैदा करती है।शिल्प और संरचना के प्रति लेखक सचेत रहा है।व्यवहत सरल एवं वोधगम्य भाषा में सुख की खोज, सच्चा प्यार, मानसिक बंधन बटन और धागा लस्सी,बेजुवान की सेवा, पाठको का ध्यान अपनी ओर खीचती है।
-सुरेन्द्र अग्निहोत्री
ए-305, ओ. सी. आर.
विधान सभा मार्ग लखनऊ
मो0ः 8787093085,9415508695,

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