सोच और संस्कारों की सांझी धरोहर
Bridging The Gap
” चाँद पर घर और मंगल पर पानी
हवा में की हमने हजार बातें
और तरसती रही यह धरती
कही गोली कहीं गंडासे खाती ”
-शैल अग्रवाल
अंक 100 / वर्ष 9
इस अंक में:
कविता धरोहरः सूर्यकांत त्रिपाठी निराला । गीत और ग़ज़लः निदा फाजली। माह विशेषः शरणार्थीः शन्नो अग्रवाल, विमलेश त्रिपाठी, शैल अग्रवाल,शुभ्रता मिश्रा। कविता आज और अभीः किसकी धरतीः शैल अग्रवाल, राजेश्वर वशिष्ठ, ओम निश्चल, मायामृग, रामसिंह यादव ।
अपनी बात। मंथनः शैल अग्रवाल। कहानी धरोहरः त्रासः भीष्म साहनी। कहानी समकालीनः और जल गया उसका सर्वस्वः उषा राजे सक्सेना । कहानी समकालीनः बीजः शैल अग्रवाल। दो लघु कथाएँ: आलोक सातपुते। धारावाहिकः मिट्टी (अंतिम किश्त): शैल अग्रवाल । विमर्षः सुशील शर्मा । हास्य और व्यंग्यः गरीबी की कबहुँ बढ़े ना चोटीः अविनाश वाचस्पति। चांद परियाँ और तितलीः बसंत पंचमी और सरस्वती-शैल अग्रवाल, सरस्वती वंदनाः अ. कीर्तिवर्धन ।
In the English section
Favourite Forevour: Percy Blyth Shelley. Poetry Here & Now:
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