ललितः सितंबर-रुचि शर्मा

सीत_केशी_सित_देही_सितंबर

सफेद रंग किसे प्रिय नही मुझे तो लगता हमेशा की सफेद रंग को इश्क क्यों नही माना गया।प्रकृति को देखो तो सही इसी सितंबर में सफेद हो जाती है।इसके पास खजाने में सर्वाधिक रंग सफेद है,जो सितंबर के पास है।

विन्कारोज़ा या सफेद सदा सुहागन ,को आप सितंबर में ही बिन खोजे पा लेंगे ये अमरबेल सी कही भी कभी भी मिल जाएंगे किन्तु लगते सितंबर में ही है।#जास्मिन या चमेली को आप पूर्ण यौवन में सितंबर में ही पाते है।ये इतनी खूबसूरत है ,की लगता बस इसे निहारते रहो,इसे संस्कृत में सोमननस्यायनी कहते है।देवतुल्य लावण्य से भरपूर होती है,चमेली।#मोगरा या मल्लिका इसे भी सितंबर का साथ पसंद है जैसे ये जन्म समय ही है।सफेद मोगरा खुद पर आत्म मुग्ध हो सकता है।
सफेद #कचनार बहुत कम देखा जाता जबकि जामुनी आपको मिल जाएगा।ये सफेद कचनार पठारों में तो देखा ही नही जाता।
#जूही को तो लगाया ही वर्षा ऋतु के अंत मे है।इसका सौंदर्य शायद इसलिए धरती पर उतारा गया,की इंसान देवताओं के पसंद की सुगंध पहचान सके।

चम्पा ; चम्पा तुझमे तीन गुण रंग,रूप और वास, अवगुण केवल एक है, भंवरा न आये पास।

रूप तेज़ तो राधिके,अरु भवँर कृष्ण को दास ,इस मर्यादा के लिए भंवरा न आये पास।

ये कहावत है चम्पा के लिए,इसमे पराग नही होता।तो सितंबर में इसके फलने की प्रक्रिया तेज होती है।चम्पा कामदेव के पांच फूलों में एक माना गया है।

सफेद #लिली ,आपको बारहो महीनों नही दिखेगी किन्तु सितंबर स्वयं का स्वागत ही इस सफेद लिली से करवाता होगा।
सफेद धतूरा थ्रोन मेडिकल प्लांट है। ये आपको काँले,हरे धतूरे से कम ही मिलेगा। किन्तु सावन से लेकर श्राद्ध तक अधिकतर पूजा में सफेद धतूरे का फूल उपयोग में लेते है ।

#रातरानी एक बेल सी बढ़ती साल में 7 या 8 बार लगने वाली रातरानी सितंबर के महीने में ठंड की पहली ओस और सुगंध लेकर आती है।रातरानी का इत्र बनता ।इस धरती पर रात की असली रानी है,रातरानी की सुगंध।बहकना और समां में खो जाना,ये दोनों कारण हो सकते है,इससे आकर्षित होने वालों के।

#रजनीगंधा इसकी बहार वर्षा के पश्चात और ठंड के पहले होती,यानी सितंबर।मेरी तो कविता संग्रह का नाम ही मैंने रजनीगंधा रखा है।इसके नाम का मतलब ही यही है,की प्रिय,की याद,प्रिय की बात और रूमानी एहसास।कभी कभी विचार आता कि यदि रजनीगन्धा न होती तो,हम प्यार को कैसे अभिनीत करते बिना शब्दो के।

काश,कुश या #कांस ये लंबी घास में कोई भुट्टे सी ढेरो फुद्दी लिए हुए एक लंबी डंडी होती है।इसका धार्मिक प्रयोग तो होता है,साथ ही इसका आयुर्वेद से हमेशा नाता रहा है
तालाब नदी किनारे ये इतनी खूबसूरत लगती जैसे स्वर्ग का दरवाजा हो।मुझे व्यक्तिगत रूप से सम्मोहित करते है,कांस के लंबे लंबे तालाब के घट,घाट।

ये सितम्बर सीत, कांस है, कचनार है,मोगरा,चम्पा,चमेली,रजनीगंधा, रातरानी, है। बताओ तो ज़रा कौन है जो रजत धन से भरा हो ,जितना कि सितम्बर को प्रकृति ने सम्पदा दी। एक बात तो भूल गई ,कल का चांद देखा था?(सितम्बर में दस्तक देते हुए)मैंने देखा और दिनों से ज्यादा धवल, श्वेत, चांदी से भरे कलश सा दमक रहा था। काश ये चाँद, सितम्बर और श्वेत हिमालय साथ हो, तो बुन पाएंगे एक नया सफेद आसमाँ।
रुचि शर्मा
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