दुख-दर्द की कहानी बन जाए उपन्यास, कौन समझता है मुस्कान का महत्व: सावन
मधुर साहित्य सामाजिक काव्य संस्था, लक्ष्मीगंज की 122 वीं कवि गोष्ठी साहित्यकार मधुसूदन पांडेय मधुर के आवास पर कवि रामप्रवेश घायल की अध्यक्षता में सम्पन्न हुई जिसमें हिन्दी और भोजपुरी भाषी साहित्यकारों ने अपनी प्रतिनिधि रचनाएं प्रस्तुत कीं। इस अवसर पर मुख्य अतिथि राधेश्याम रागी को सम्मानित किया गया। सावन साहित्य सेवा सदन के संस्थापक डॉ. सुनील चौरसिया सावन ने भूत-भविष्य की चक्की में पिस रही ज़िंदगी, कौन समझता है वर्तमान का महत्व। दुख-दर्द की कहानी बन जाए उपन्यास, कौन समझता है मुस्कान का महत्व सुनाकर तालियां बटोरी। मंच संचालन कवि बलराम राय ने किया।
कार्यक्रम की शुरुआत भोजपुरी लोकगायक एवं कवि दयानंद सोनी की सरस्वती वंदना से हुई। कथा वाचक गोमल कवि ने पारिवारिक एवं सामाजिक यथार्थ को समर्पित कविता प्रस्तुत की ‘कुटे पीसे बुढ़िया त खुदिया दुलम बा, बइठल-बइठल बबुनी के खाएके पलंग बा।हरीलाल जायसवाल ने रात दिन जे सोचेला बेईमानी, साथ लेके का जाइ ..सुना कर सबको भाव-विभोर कर दिया।
बलराम राय ने देखिए कैसी आफत हो रही है, बात-बात पर सियासत हो रही है.. सुनाकर वाहवाही लूटी। उगम चौधरी ने भक्तिभाव पूर्ण गीत सुनायी-निमिया के पतई ह माई के भोजनिया, एही पर झुलवा झुलेली दूनो बहिनिया।
वरिष्ठ कवि मधुसूदन पांडेय मधुर ने देश को समर्पित कविता प्रस्तुत की कन्हवा पर राइफल धइले हथवा तिरंगा जवान डटल बाने.. जो बहुत ही सराहनीय रही। कवि सुरेंद्र गोपाल एवं असलम बैरागी की राष्ट्रीय चेतना से ओत-प्रोत कविताएं प्रशंसनीय रहीं। ।धन्यवाद ज्ञापन पूर्व ग्राम प्रधान रविंद्र पांडेय ने किया।
कार्यक्रम का समापन अध्यक्ष के उद्बोधन से हुआ। इस अवसर पर श्रोतागण के रूप में पंकज पांडेय , प्रीति, सुप्रीति चौरसिया, आराधना पांडेय, रामकेवल चौरसिया, उर्मिला , प्रियंका, संतोष चौरसिया, संदीप, शैलेंद्र, सत्या , सोना, पिन्टू, वन्दना, अजय सिंह आदि उपस्थित रहे।
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