आज सिराहनेः हाय री कुमुदनीः काव्य संग्रहः कवि सुनील कुमार चौरसिया
जीवन के असली मंत्र को उद्घाटित करती ‘हाय री! कुमुदिनी’ क्यों मानें कि सपना कोई साकार नहीं होता, हम गुजरे कल की आंखों का सपना ही तो हैं।। सुनील चौरसिया ‘सावन’ संभवत: स्नातक द्वितीय वर्ष […]