होली के विविध रंगः शैल अग्रवाल

रक्षाबन्धन की अवधारणा यदि विप्र और सुकुमार वर्ण के संरक्षण हेतु  कभी की गई होगी, तो दशहरा शौर्य प्रदर्शन यानी क्षत्रियों  के लिए रचा गया था। दीपावली व्यापारियों की संतुष्टि के लिए थी तो होली आम जनता यानी शूद्रों का  बेबाक त्योहार था, जिसमें नाच-गाना, मांस-मदिरा ही नहीं, गाली-गलौज तक का भी खुलकर प्रयोग हुआ करता था। पूर्णतः कुंठाहीन और स्वच्छंद था यह त्योहार और हफ्ते-हफ्ते या पूरे पखवाड़े चला करता था ।  छोटे-बड़े, दोस्त-दुश्मन, सभी खुल कर गले मिलते, और जी भरकर एक-दूसरे के साथ छेड़छाड़ करते।
मध्यकाल के आते-आते यह रजवाड़ों और मन्दिरों में भी जगह पा चुका था यह और आज भी राजा-रजवाड़े और ज्ञानी-ध्यानी ही नहीं, जनसाधारण के भी हृदय के बेहद करीब है यह पर्व, जिसमें अमीर-गरीब, बच्चे-बूढ़े, सभी खुलकर हिस्सा लेते हैं। इक्कीसवीं सदी तक आते आते तो अब सौहाद्र और भाईचारे का प्रतीक बन चुका है भारत में होली का त्योहार…जिसमें कट्टर विरोधी सांप्रदायिक और राजनैतिक संस्थाओं  व नेताओं और जान-साधारण को एक ही मंच और एक ही परिसर में हंसते-गाते, गुलाल का टीका लगाते लगवाते देखा जा सकता है। राजनेता से लेकर अभिनेता तक, सभी के यहां इसे धूमधाम से मनाने की परंपरा-सी चल पड़ी है।  ब्रिज और राजस्थान में बहुत ही धूमधाम से और विविध श्रृंगार और गीत-संगीत के साथ मनाई जाती है होली..मुख्य़तः मन्दिरों और सामाजिक संस्थानों में। युवा वर्ग  के साथ-साथ, विदेशी पर्यटकों तक को लुभाने लगे हैं ये होली के आयोजन और राग-रंग। विदेशियों के मन में इनके प्रति आकर्षण दिन-प्रतिदिन और और बढ़ता ही जा रहा है। कुछ वासन्ती मौसम की मादकता और कुछ नित नए तरीके से रंग खेलने की प्रथाएं आज इसे  सबका ही प्रिय त्योहार बना बैठी है।  इस त्योहार में सामूहिक जुलूस, नाच-गाने आदि की बहुलता…मौज-मस्ती के माहौल के साथ-साथ एक हर्षोल्लास भरी उन्मुक्तता रहती है। 
 भारत में ही नहीं, पूरे विश्व में होली के समकक्ष या समरूप, होली जैसे ही त्योहार मनाए जाते हैं।
घाना का होमोवो

अफ्रीकी देश घाना में होली की तरह होमोवो मनाया जाता है। ड्रम की तेज आवाज पर रात में लोग खूब नाचते-गाते हैं। वहाँ की महत्वपूर्ण फसल शकरकंद और उबले अँडे से एक खास डिश तैयार की जाती है, जिसे लोग बड़े चाव से खाते हैं। इस दिन गाँव के मुखिया से आशीर्वाद लिया जाता है। चमकीले रंग का खास परिधान भी लोग पहनते हैं।

चीन में मून फेस्टिवल

चाइनीज कैलेंडर के अनुसार, आठवें महीने के पंद्रहवें दिन चीन में मनाया जाता है मून फेस्टिवल। चावल और गेहूँ की अच्छी फसल होने पर यह त्योहार मनाया जाता है। इस समय पूरा चंद्रमा दिखाई देता है। चीनी किवदंती के अनुसार इस दिन चंद्रमा का बर्थडे होता है। कथा के अनुसार चांग ओ नामक महिला उड़कर चंद्रमा तक पहुँच गई थी, जो आज भी पूरे चांद में दिखाई देती है। इस दिन लोग पूरे परिवारके साथ फुल मून देखते हैं, जो अच्छे भाग्य और मधुर संबंध का प्रतीक माना जाता है।

कोरिया का चू सुक

कोरिया में नई फसल को सेलिब्रेट करने के लिए चू सुक मनाया जाता है। यह आठवें महीने के पंद्रहवें दिन मनाया जाता है। इस दिन एक दूसरे को मुबारकबाद देने के लिए लोग विशेष भोज का आयोजन करते हैं। जिसमें परिजनों को चावल, तिल और अखरोट से बना केक परोसा जाता है। औरतें घेरा बनाकर नाचती-गाती हैं।

स्पेन में ला टोमेटिना

स्पेन के वेलेंसियन शहर में हर साल टमाटर उत्सव मनाया जाता है। इसमें भाग लेने वाले लोग एक-दूसरे पर टमाटर, पानी के गुब्बारे और गुलाल फेंकते हैं। यह अगस्त में अंतिम बुधवार को मनाया जाता है।

कैलिफोर्निया का ग्रेप स्टैम्प फेस्टिवल

अमेरिका के कैलिफोर्निया प्रांत में अंगूर की अच्छी पैदावार की खुशी मनाने के लिए ‘ ग्रेप स्टॉम्प फेस्टिवल ‘ मनाया जाता है। दो बड़े पीपों में कई टन अंगूर डाला जाता है। आसपास इटैलियन म्यूजिक बजाया जाता है। इस दौरान डांस, प्ले कौम्प्टीशन और कई प्रकार के व्यंजनों की भी व्यवस्था होती है। इसके बाद बच्चे, बूढ़े और जवान सभी हंसते-गाते हुए पैरों से अंगूर मसलते हैं।

थाइलैंड का सॉनाक्रन

थाइलेड में हर वर्ष 13 अप्रैल को सॉनाक्रन मनाया जाता है। यह उत्सव लगातार तीन दिन तक चलता है। सॉनाक्रन का मतलब स्थान बदलना होता है। दरअसल इसी दिन सूर्य अपनी स्थिति बदलता है। यह वाटर फेस्टिवल भी कहलाता है, क्योंकि यहाँ पर मान्यता है कि पानी बैड लक को धो देता है। इस दिन परिवार के सभी लोग एक जगह एकत्रित होते हैं। माता-पिता और घर के बुजुर्गों के हाथों पर सुगंधित पानी छिड़का जाता है और उन्हें उपहार भी दिया जाते हैं। बड़े-बुजुर्ग छोटों को समृद्धशाली होने का आशीर्वाद देते हैं। दोपहर में भगवान बुद्ध की मूर्ति को स्नान कराया जाता है और फिर सभी लोग एक दूसरे पर पानी फेंककर खुशियां मनाते हैं।

अमेरिका में हेलोइन व होबो

अमेरिका में 31 अक्टूबर को हैलोइन नामक रंगों का त्योहार पूरे उल्लास के साथ मनाया जाता है। इसके अलावा एक अन्य त्योहार होबो भी मनाया जाता है। इसमें लोग अजब-गजब पोशाक पहनकर होबो बनते हैं। किसी के पतलून की एक टांग गायब होती है तो कोई शर्ट का बटन पीछे की ओर लगाए होता है। किसी के एक पैर में जूता होता है तो दूसरे में चप्पल। चेहरे पर इस तरह रंग पोता जाता है कि घर वाले भी पहचान नहीं पाते। होबो लोगोंकी सभा में जो सबसे ज्यादा बेहूदगी करता है, उसे विजेता मानकर ताज पहनाया जाता है।

पोलैंड में आरशिना

पोलैंड के लोग होली की तरह आरशिना नामक त्योहार मनाते हैं। इसमें लोग टोलियां बनाकर एक-दूसरे पर फूलों से बने रंग डालते हैं और गले मिलते हैं।

इटली का बेलियाकोनोन्स

अन्न की देवी को खुश करने और खेती की उन्नति के लिए होली की ही तरह इटली के लोग बेलिया कोनोन्स नामक त्योहार मनाते हैं। भारत की तरह यहां भी लोग शाम को लकड़ियां जलाते हैं, अग्नि के आगे नाचते-कूदते हैं और आतिशबाजी करते हैं। इस दिन छोटे-बड़े सभी एक-दूसरे पर सुगंधित जल छिड़कते हैं और घास के बने आभूषण भेंट करते हैं।

अन्य देशों में होलीकुछ अन्य देशों में भी होली जैसे त्योहार मनाए जाते हैं। भारत के पड़ोसी देश म्यांमार देश में तेच्या नाम से रंगों का त्योहार चार दिन तक मनाया जाता है। मिश्र में फलिका नाम से मार्च महीने में लोग होली जैसा त्योहार सेलिब्रेट करते हैं। यूनान में मेपोल नामक त्योहार में एक खंभा गाड़कर उसके आसपास लकड़ियां रख दी जाती हैं और उसमें आग लगा दी जाती है। लोग अपने देवता डायनोसिस की पूजा करते हैं। रूस में 31 मार्च को हास्य पर्व मनाया जाता है और महामूर्ख सम्मेलन भी आयोजित किया जाता है। फ्रांस में 13 अप्रैल को होली की तरह हुड़दंग मनाते और लोगों को रंग गुलाल लगाते हैं। जैसे त्योहार मनाने के अन्दाज भिन्न और व्यक्तिगत होते हैं , वैसे ही भावनाएँ और अभिव्यक्ति भी।              

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