लेखनी/Lekhni नवंबर-दिसंबर 16

सोच और संस्कारों की सांझी धरोहर
Bridging The Gap
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विश्वबन्धु हैं हम
आगे बढ़ेंगे पर
सबको साथ लेकर
रोड़े मत डालो, कांटे न बिछाओ
ये कंटीली नफरत की सरहदें
खड़ी न रह सकेंगी
प्यार की आंधी में अब
विश्वबन्धु हैं हम…
-शैल अग्रवाल

अपनी बातः सरहदें कितनी और कहाँ तक!!
वर्ष 10 अंक 105

इस अंक में- गीत और ग़ज़लः जावेद अख्तर। माह के कविः सुबोध श्रीवास्तव। दोहे और छंदः सपना मांगलिक। सरहदेः चन्द हायकू- सरस्वती दीप के रचनाकार। कविता आज और अभीः रमेश दबे, राजेश रेड्डी, सरस्वती माथुर, शैल अग्रवाल। चाँद परियाँ और तितलीः कविताएँ- भवानी प्रसाद मिश्र।
कहानी धरोहरः टोबा टेक सिंहः सआदत हसन अली मंटो। कहानी समकालीनः जंग जारी है-देवी नागरानी। कहानी समकालीनः एक खिसका हुआ आदमीः सुशांत सुप्रिय। कहानी समकालीनः । दो लघुकथाएँः एक खेल ही तो है-शैल अग्रवाल, मैन इन यूनिफौर्म-विजय सप्पत्ति। । परिचर्चाः बस थोड़ा और-मनीषा परिहार। तीज त्योहारः सूर्य सष्ठी-गोवर्धन यादव। हास्य व्यंग्यः छटे लोगों की छठ पूजा- हरि जोशी।
In the English Section- My Column. Favourite Forever: Mahmoud Darwesh. Poetry Here & Now- Shail Agrawal. Story: Enemy-A.G.Ather. Kids Corner: Shail Agrawal.

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