हास्य-व्यंग्यः सरकारी महाभारतः आलोक पुराणिक

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एक लेखक,निर्माता और निर्देशक ने मिलकर महाभारत पर फिल्म बनाने की सोची, उन्होंने फिल्म के लिए फाइनेंस जुटाने के इरादे से स्क्रिप्ट भारत सरकार के पास भेजी, बाद में तीनों ने ही सुसाइड कर लिया और उसका कारण था…
विषयः महाभारत
सेवा में,
लेखक, फिल्म निर्देशक व फिल्म निर्माता मुंबई
संदर्भः आपके द्वारा फाइनेंस के लिए भारत सरकार के पास भेजी गई फिल्म की कहानी, पत्रांक संख्या…
अघोहस्ताक्षरी उपर्युक्त पत्र के संदर्भ में सूचित करना चाहता है कि सरकार ने महाभारत पर फिल्म बनाने के आपके प्रस्ताव पर वितार किया है, इसके लिए गठित उच्च स्तरीय समिति, मानवाधिकार आयोग, महिला आयोग और लेबर कमीशन से मंत्रणा व विभिन्न मंत्रालयों और राज्य सरकारों के साथ विचार-विमर्श के बाद स्क्रिप्ट के बारे में निम्न निष्कर्ष पर पहुँची है…
1. स्क्रिप्ट में कौरव और पाण्डवों का जिक्र आय है, जिसमें से कौरव सौ भाई हैं, पाणडव पांच। स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने इंगित किया है कि यह संख्या बहुत अधिक है जो कि उनके द्वारा परिवार के लिए तय सीमा से अधिक है। ऐसे समय में जब सरकार फैमिली प्लानिंग को बढ़ावा देने के लिए अत्यधिक व्यय कर रही है, इससे लोगों में गलत संदेश जाएगा। इसलिए फिल्म में सिर्फ तीन कौरव व एक पाण्डव ही हो सकते हैं।
2. संसदीय कार्य मंत्रालय ने इस पर आपत्ति जताई है कि लोकतंत्र में राजाओं-महाराजाओं को दिखाना कितना उचित है, इसलिए सुझाया जाता है कि कौरवों को संसद के सम्मानित सदस्य लोकसभा और पाण्डवों को संसद के सम्मानित सदस्य राज्यसभा के तौर पर दिखाया जा सकता है। फिल्म के अंत में कौरवों पर पाण्डवों की विजय दिखाई जाती है, इसमें भी परिवर्तन होना चाहिए ताकि किसी सदन के सदस्य की भावनाएँ आहत न हों।
3. विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय के अनुसार कौरवों के जन्म का तरीका मानव क्लोनिंग की ओर इशारा करता है, जिस पर भारत में प्रतिबंध है, ऐसे में उसे सामान्य जन्म की तरह दिखाया जाना चाहिए।
4. महिला आयोग की आपत्ति है कि पाण्डवों के पिता श्री पाण्डु जहाँ बहुपत्नीधारी हैं, वहाँ पांच पाण्डवों की सिर्फ एक पत्नी है, इसलिए स्क्रिप्ट में आवश्यक संशोधन किए जाने चाहिए। श्री पाण्डु को बहुपत्नीधारी नहीं दिखाया जाए। पाण्डवों की संख्या कम करने के लिए पहले ही सुझाव दिया जा चुका है।
5. विकलांग आयोग के अनुसार नेत्रहीन धृतराष्ट्र का प्रस्तुतिकरण असम्मानजनक है, इसलिए उसे ने6हीन न दिकाया जाए।
6. महिला एवं बाल विकास विभाग ने इंगित किया है कि एक स्त्री पात्र द्रोपदी का भरी सभा में चीरहरण आपत्तिजनक व महिलाओं का अनादर है। वहीं गृह मंत्रालय का मानना है कि ऐसे किसी भी दृश्य से कानून और व्यवस्था की समस्या पैदा होने के अलावा विभिन्न महिला संगठनों से कड़े विरोध का सामना करना पड़ सकता है। ऐसे दृश्यों पर संप्रेशन ऑफ इमॉरल ट्रैफिक एक्ट के तहत दंडात्मक कार्यवाई भी हो सकती है, इसलिए इसे फिल्म से हटा दिया जाना चाहिए।
7. पाण्डवों और कौरवों को जुआरी दिखाना असामाजिक और नुकसानदायक साबित हो सकता है, जिससे जुए को भी बढ़ावा मिलने की आशंका है, इसलिए पाम्डवों और कौरवों के बीच हॉर्स रेसिंग दिखाई जा सकती है। माननीय उच्चतम न्यायालय ने भी माना है कि हॉर्स रेसिंग जुआ नहीं है।
8. पाण्डवों को महाराज विराट के पास बिना किसी वेतन के काम करते दिखाया गया है। मानवाधिकार आयोग के अनुसार यह बंधुआ मजदूरी है, जो कि बंधुआ मजदूरी उन्मूलन अधिनियम 1976 के प्रावधानों के तहत आ सकती है। स्क्रिप्ट में यह कमी ठीक की जानी चाहिए।
9. लड़ाई में अभिमन्यु नाम के पात्र को युद्ध करते दिखाया गया है। राष्ट्रीय श्रम आयोग के अनुसार युद्ध खतरनाक पेशा है। उपर्युक्त पात्र की उम्र 16 वर्ष है, जिसे बाल श्रम का मामला माना जाएगा। उसे किसी तरह के भुगतान का भी उल्लेख नहीं है। जिसे बाल श्रम निषेध और नियंत्रण अधिनियम , 1986 व न्यूनतम मजदूरी अधिनियम, 1948 के प्रावधानों का उल्लंघन माना जाएगा। ऐसे किसी भी संदर्भ को फिल्म से हटा दिया जाना चाहिए।
10. पात्र श्री कृष्ण के मोरपंख धारण करने का उल्लेख है, और मोर राष्ट्रीय पक्षी है। इसके पंख से बनी किसी भी वस्तु को धारण करना वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972 का उल्लंघन है।
11. श्रीमती मेनका गांधी ने युद्ध के दृश्यों के लिए हाथियों और घोड़ों के उपयोग पर आपत्ति जताई है। इस स्थिति में पशु क्रूरता निवारण अधिनियम, 1890 और पशु क्रूरता निवारण अधिनियम संशोधित 1960 के प्रावधान लागू होंगे। आपत्तियों के निवारण के लिए स्क्रिप्ट में आवश्यक संशोधन किए जाने चाहिए।
12. वित्त मंत्रालय के सादगी संबंधी उपायों के संबंध में जारी मेमो का संदर्भ ग्रहण करते हुए सूचित किया जाता है कि युद्ध के दृश्यों के लिए प्रत्येक की सेना में दस ही सैनिक हो सकते हैं। आपसे उपर्युक्त तथ्यों को ध्यान में रखते हुए स्क्रिप्ट में आवश्यक संशोधन कर अघोहस्ताक्षरी के पास पुनः जमा करने का निर्देश दिया जाता है।
भवदीय-
अपर सचिव, सूचना व प्रसारण मंत्रालय।

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