परिचर्चाः समय आ गया है-अर्जित मिश्रा

समय आ गया है

शायद समय आ गया है| 58 साल बाद ही सही| हार के जिस ज़ख्म ने दिल को छलनी कर रखा था अब उसका बदला लेकर नया अध्याय लिखने का वक़्त शायद आ गया है| जब से इतिहास पढना/समझना शुरू किया तब से शान से पढ़ते आ रहे हैं कि हम किस तरह 47,65,71 और 99 की जंग जीते हैं और उन सबके बीच एक हार, 62 में चीन से| हाँ इधर कुछ सालों से 67 की झड़प की चर्चा भी होने लगी जिसमे हमने चीनियों को खदेड़ दिया था, लेकिन ये सब कभी हमें पढाया नही गया|
हार के कारणों में जाने से राजनितिक बातें होंगी और साथ ही साथ उन शूरवीरों के साथ भी अन्याय होगा जो अपने अदम्य साहस से उस हारी हुई लडाई को लडे थे| लेकिन फिर भी इसका कोई स्पष्ट कारण समझ में नही आया कि हम एक ऐसे देश से कैसे हार गए जो खुद हमारी तरह ही कुछ ही समय पहले स्वतंत्र हुआ था| इतने दशकों से हमारा पवित्र तीर्थ कैलाश मानसरोवर चीन के कब्ज़े में है और हम उस हार के डर से उबर ही नही पा रहे| हम छोटे से पाकिस्तान से कश्मीर तो आज़ाद करा ना पाये चीन से कैलाश क्या लेंगे| बताते हैं कि कभी नेहरूजी ने कहा था कि लद्दाख का क्या करेंगे वहां घास का एक तिनका भी नही होता| अब इस सोंच के साथ तो किस बात की जंग और किस बात की राष्ट्र की अस्मिता| फिर पिछले पचास सालों में चीन ताक़त में हमसे कहीं आगे निकल गया| साथ ही साथ समय भी बदल गया, अब सामरिक मसले से अधिक बाज़ार का महत्व है| और व्यापारिक जंग का दौर चल रहा है| ये सब पढ़ते/समझते कोई उम्मीद नही बची थी कि हम चीन से कभी बदला ले पायेंगे| लेकिन पाकिस्तान के अनाधिकृत कब्ज़े वाले कश्मीर में हमले से ऐसा लगा अब अगर चीन ने कोई हरकत की तो हम मुंहतोड़ जवाब देंगे|
इधर कुछ दिनों से नेपाल और चीन की नियंत्रण रेखा पर हलचल बढ़ गयी| नेपाल जिससे हमारा सदियों का मित्रवत संबंध रहा है, आज हमारे ऊपर उसकी जमीन हड़पने का आरोप लगा रहा है| निस्संदेह चीन उसके पीछे है किन्तु चीन को ये अवसर भी हम ही ने दिया है, इससे इंकार नही किया जा सकता| हमें नेपाल और भूटान जैसे देशों का बड़े भाई की तरह ध्यान रखना चाहिए था ताकि हम अपने और चीन के बीच नेपाल को बफर की तरह इस्तेमाल कर सके| खैर अब तो चीन नेपाल में पूरी तरह से घुस चुका है| साथ ही साथ नियंत्रण रेखा पर उकसाने वाली हरकतों में निरंतरता से इस बात का आभास हो रहा था की जल्दी ही कुछ बड़ा होगा| और हुआ भी| ये बिलकुल नही माना जा सकता कि गलवन की ये घटना सिर्फ एक झड़प है| अगर शहीदों के आधिकारिक आकड़ें भी माने तो भी ये झड़प नही है| इसके पीछे चीन का कोई षड़यंत्र तो अवश्य है| ये समझ कर खुश होना ठीक नही कि अभी हमने अधिक चीनी सैनिकों को मारा है|
एक नया इतिहास लिखे जाने की पटकथा लिख दी गयी है| अब बस इन्तजार है उस घडी का जब हम चीनियों को सबक सिखायेंगे| सिर्फ सामरिक जंग ही एक मात्र विकल्प नही है, सबसे पहले सरकार को चीन के साथ अपने समस्त व्यापार पर प्रतिबंध लगा देना चाहिए और हम सभी नागरिकों को चीनी वस्तुओं का बहिष्कार कर देना चाहिए| कुछ समस्याएं होंगी परन्तु ये आवश्यक है| इतने में ही चीन दबाव में आ जायेगा|
हमें पूरी सतर्कता बरतते हुए इस अवसर का लाभ उठाना चाहिए और चीन के साथ अपने समस्त सीमा निर्धारण के मसले एक बार में सुलझा लेने चाहिए| अगर जंग करनी पड़े तो जंग ही सही| चाहे कितनी भी बड़ी कीमत चुकानी पड़े| राष्ट्र की अस्मिता से बढ़कर कुछ भी नही| मुझे पूर्ण विश्वास है कि हम सब अपने मतभेदों को भुलाकर राष्ट्र की अस्मिता के लिए एकजुट होकर चीन का विरोध करेंगे|

ये क्या कर लिया……ये क्या कर लिया तुमने सुशांत! गर्मी भरी दोपहर में अपने कमरे में एसी की ठंडक में आराम से बैठे हुए मोबाइल पर अचानक तुम्हारी आत्महत्या की खबर देखी| सहसा विश्वास ही नही हुआ| दिल और दिमाग दोनों ने यही कहा “फर्जी खबर है”| लेकिन कुछ ही देर में न्यूज़ चैनल्स पर इस खबर की तस्दीक हो गयी कि तुम चले गए| सब कुछ टीवी पर देखते सुनते हुए भी यकीन नही हो रहा था, ऐसा लग रहा था जैसे कि ये सब किसी पटकथा का हिस्सा हो और तुम अपने चरित्र को जी रहे हो| आखिर तुम्हारी उम्र ही क्या थी| अभी-अभी तो तुमने भारतीय सिनेमा के माध्यम से करोड़ो लोगों के दिलों में अपनी जगह बनायीं थी| सभी को ये विश्वास था की तुम भारतीय सिनेमा के शिखर पर पहुँचने की योग्यता रखते हो| बचपन से ही एक प्रतिभाशाली छात्र जो अपने विषय क्षेत्र में उपलब्ध असीम संभावनाओं को छोड़कर एक नयी और अनजान दिशा का चयन करता है, वह इतना कमज़ोर तो नही हो सकता| अपने घर में मौजूद टेलेस्कोप से चाँद-तारे देखने वाला और यहाँ तक की चाँद पर जमीन खरीदने वाला व्यक्ति यूँ ज़िन्दगी से हताश कैसे हो सकता है| तुमने सिर्फ अपनी योग्यता और मेहनत के दम पर बिना किसी फ़िल्मी प्रष्ठभूमि के अपना एक अलग मुकाम बना लिया ये काबिले तारीफ है| लेकिन मेरे दोस्त ये फैसला करके तुमने अपने चाहने वालों को बहुत मायूस कर दिया| ज़रा सोंचों जो नौजवान तुम्हे अपना आदर्श मानते हैं, छोटे शहरों में रहने वाले जो बड़े-बड़े सपने देखते हैं, वो तुम्हारे इस अंजाम से अपना हौसला खो बैठेंगे|
समाचारों में पता चला कि तुम भारतीय सिनेमा में व्याप्त भाई-भतीजावाद के काफी लम्बे समय से शिकार हो रहे थे| कुछ बड़े प्रतिष्ठित निर्माता/निर्देशक/अभिनेता जो मिलकर एक गैंग की तरह भारतीय सिनेमा को संचालित करते हैं, उन्हें तुम्हारे इस सिफ़र से शिखर तक की यात्रा से इर्ष्या थी| एक तरह से तुम्हारा अघोषित बायकाट कर दिया गया था| कुछ विडियो क्लिप्स आज कल वायरल हो रही है, जिन्हें देखकर अब ऐसा एहसास होता है कि तुम किन परिस्थितिओं में हमारा मनोरंजन कर रहे थे| यकीन मानों अब ऐसा लग रहा है जैसे की तुम्हारे इस कदम के लिए हम सब भी जिम्मेदार हैं| आखिर भारतीय सिनेमा के उन स्वघोषित बाहुबलियों को हमने ही तो इतना बड़ा बना दिया कि उन्हें सब अपने से छोटे नज़र आने लगें| तुम विश्वास रखो जिन्होंने तुम्हारे साथ गलत किया है भगवान उन्हें कभी माफ़ नही करेगा| और रही बात हम लोगों की, तो देख लेना, जैसे इन्होने तुम्हारा बायकाट किया था, आज से हम सब इन लोगों का बायकाट करते हैं|
यूँ तो मृत्यु कभी सही नही होती, लेकिन शायद तुम्हारी मृत्यु से उन करोंड़ों नौजवानों की आँखें खुल जाएँ जो तुम्हारे गुनहगारों को सितारा मानते हैं, अपना आदर्श मानते हैं|
जहाँ भी रहो….खुश रहो….मेरे दोस्त!

अर्जित मिश्रा
सीतापुर उत्तर प्रदेश
9473808236

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