हास्य-व्यंग्यः विश्वगुरु भारत-पुष्पलता

अब यकीन आया , अब जाकर पता चला इस तरह भी भारत बन सकता है विश्वगुरु ।
प्रोडक्शन यहाँ होगा निर्यात दूसरे देशों में । जॉब और घर दूसरे देशों में । धीरे -धीरे सारे देशों में यहाँ वहाँ हमारे भारतीय सपरिवार बसेंगे , फिर आसपास के सारे रिश्तेदारों को खींच लेंगे । इनकी वोट इतनी ज्यादा हो जायेंगी कि भारतीय मूल का व्यक्ति हर देश पर राज करेगा। कितना आसान है विश्व गुरु बनना ।ये गुर वैसे जिसने दिया उनका धन्यवाद तो बनता है ।जिसके भी पाँच से ज्यादा बच्चे हो जाएं उनकी बिजली, पढ़ाई,इलाज ,मौज मस्ती सब फ्री करनी चाहिये विश्व गुरु बनने में उनका योगदान अतुल्य है ।आखिर कौन ऐसा है जो चाहेगा हमारा देश विश्व गुरु न बने जय भारत, जय भारतीय । हम साहित्यकारों को विशेष फायदा होगा हमारे सारे साहित्यकार यहाँ वहाँ जाकर साहित्यिक आयोजन कर पायेंगे । ढेरों अन्तर्राष्ट्रीय सम्मान -पुरस्कार कुछ असली कुछ फ़र्जी आसानी से ले पायेंगे । समूचे विश्व में उनके द्वारा हिंदी फैलेगी । सम्पन्न लोग वहाँ कुछ असली कुछ नकली यूनिवर्सिटीज, होटल,ग्रोसरीजआदि खोल डालेंगे ।हमारे देश का व्यापारी उन सब को भी लूट डालेगा ,डॉक्टर्स, वहाँ के लोगों के इलाज से घर भर लेंगे । अधेड़ औरतें आया बन डॉलर्स में कमायेंगी । वहाँ के शिक्षण संस्थानों में हमारी सबकी किताबें लगेंगी । वे हर कार्य क्षेत्र में हमारे देश के स्त्री – पुरुषों का लोहा मानेंगे ।हमारे पास सबसे ज्यादा सैनिक होंगे । ज्यादा से ज्यादा लोगों के वहाँ रपट जाने से हमें संसाधनों की कमी न रहेगी। इस तरह भारत बनेगा दुनिया की महाशक्ति ।बस जरा ये जरूर जाँच लीजियेगा कहीं वोटों के चक्कर में नेताओं ने फ़र्जी जनसँख्या न बढ़ा दी हो। एक- एक आदमी विष्णु भगवान की तरह यहाँ- वहाँ दो सौ , तीन सौ , चार सौ जगह मौजूद न हो । एक भारतीय के लिए दुनिया में कुछ भी असंभव नहीं है ।भूल गए एक – एक आदमी पंद्रह सौ रानियाँ रख लेता था ।दुनिया के किसी भी मुल्क में कोई गाँधारी हुई है क्या?।यहाँ अंधा व्यक्ति भी बच्चों से कुरुक्षेत्र भर देता है। भारतीय इतने बुद्धिमान है यहाँ का चौदहवां बच्चा भी विदेशी यूनिवर्सिटी में अपनी मूर्ति लगवा सकता है ।हम तो केवल आठ बहन भाई इसलिए रह गए पिताजी मिलिट्री में थे मम्मी को अकेले पालने पड़ते थे । वे परिवार नियोजन की शरण में चली गई थी। इस जनसँख्या द्वारा विश्व गुरु बनाने में नेहरू जी का भी विशेष योगदान है मुफ्त पढ़ाई , मुफ्त इलाज , ऊपर से वजीफे , सरकारी नौकरियाँ जिनमें व्यक्ति मस्ती से काम करते हुए तनाव मुक्त रहता था। उनका नाती संजय गाँधी इसमें पलीता लगा गया था । मेन पावर ही तो असली पावर है ।अब चालीस की उम्र में भी लोग शादी नहीं कर रहे, शादी हो गई तो बच्चे नहीं कर रहे , कर लिए तो एक या दो से आगे प्लान नहीं कर रहे । बच्चे – बड़े सब डिप्रेशन में जा रहे हैं । विश्व गुरु बनने में ये सब दिक्कतें बाधा उत्पन्न न कर डालें बस यही डर है।

डॉ पुष्पलता, मुजफ्फरनगर
स्वतंत्र लेखन।

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