हास्य व्यंग्यःप्रेम संबंधों में आधुनिक क्रान्ति -संजीव निगम

नए ज़माने में नए विचार आते हैं और नए विचार बड़े क्रांतिकारी होते हैं। ऐसा ही एक नया विचार आजकल उपभोक्ता वस्तुओं के लेन देन के सिलसिले में चल रहा है। आसानी से नया लो और आसानी से पुराना निकाल दो। आधुनिक जीवन शैली का यह मौलिक चिंतन प्रेम प्यार के लफड़ों में बड़ा काम आ रहा है। आजकल प्यार का सम्बन्ध पहले की तरह से फेविकोल का जोड़ नहीं है, सम्बन्ध एक बार चिपक गया तो चिपक गया , टूटेगा नहीं। आजकल प्यार का सम्बन्ध मार्केटिंग की दो आधुनिक स्ट्रेटेजीज के हिसाब से चलता है। इनमें से एक है ‘ सस्ता पाओ ‘ स्ट्रेटेजी और दूसरी ‘ छुटकारा पाओ ‘ स्ट्रेटेजी।
प्यार की इन नयी राहों को अगर तकनीकी नामों की इज़्ज़त देनी हो तो एक को कह सकते हैं ‘ फ्लिपकार्ट स्ट्रेटेजी ‘ और दूसरी को ‘ ओएलक्स स्ट्रेटेजी ‘। ‘ फ्लिपकार्ट स्ट्रेटेजी ‘ के तहत आजकल के प्रेमी या प्रेमिका की कोशिश यह रहती है कि किस तरह से कम से कम समय और कम से कम खर्च में प्यार की बेस्ट डील मिल जाए।,स्कूल ,कॉलेज , सोशल सर्किल , सोशल मीडिया सब जगह पर प्यार के लिए सोशल होने के अनेक अवसर उपलब्ध हैं जहाँ पर बिना सोचे समझे भी अपनी रूचि के अनुसार साथी चुनते हुए प्यार के अटूट बंधन को कुछ घंटों से लेकर कुछ दिनों तक के लिए जोड़ा सकता है। अगर आप अपने उस भावी प्रेमी या प्रेमिका के चयन को फाइनल करने को लेकर कुछ कन्फ्यूज़न की हालत में हैं तो कुछ वक़्त के लिए आप उस साथी को दिल की बजाय दिमाग के खाने में डाल कर उलझाये रख सकते हैं जैसे कि सस्ता माल खरीदो वेब साइट्स पर सामान को कुछ देर ‘कार्ट ‘ में डाल कर रख देते हैं। अगर कोई दूसरा माल पसंद आ गया तो इसे लौटा देंगे और नहीं पसन्द आया तो कुछ समय तक इसी से काम चला लेंगे। वैसे ये कुछ वक़्त तक काम चलाना भी ज़रूरी नहीं है। प्रोडक्ट पसंद नहीं आया तो आप उसे एक दो दिन में वापस चलता भी कर सकते हैं। ये है आधुनिक प्रेमी – प्रेमिका यानि प्यार लेने – देने वाले प्रोडक्ट को हासिल करने का सबसे आसान और किफायती फंडा।
पहले के ज़माने में लोग जिस तरह से अपने जूतों को के प्रति मोह के कारण उन्हें कीलें और सिलाई मरवा मरवा कर सालों तक चलाते रहते थे वैसा ही व्यवहार वे प्रेम संबंधों में भी किया करते थे। इसके विपरीत , आधुनिक प्रेम प्रक्रियाओं की एक बड़ी सुविधा यह है कि जैसे ही सम्बन्ध कुछ बासी लगने लगे या आउट ऑफ़ फैशन लगने लगे तो फ़ौरन ‘ छुटकारा पाओ ‘ स्ट्रेटेजी का इस्तेमाल कर डालो। इस रणनीति के इस्तेमाल से, जाने वाले को यह गर्व भरा एहसास होता है कि सेकंड हैंड होते हुए भी वह बड़ी अच्छी कीमत पर जा रहा है। इससे उसके मन को दुःख की अनुभूति नहीं होती है बल्कि वह जाते जाते ख़ुशी ख़ुशी ‘ बेहतरीन नया पार्टनर ‘ मिलने की दुआएँ देकर जाता है।
इस प्रकार प्रेम की इन नयी कारगर रणनीतियों ने प्यार के कार्य व्यवहार में सालों से चले आ रहे सुस्त और एकरस लालफ़ीताशाही रवैये में क्रांतिकारी परिवर्तन ला दिया है। इसीलिए तो एक बड़े दार्शनिक अर्थात मैने यह कहा है ,’नए ज़माने में नए विचार आते हैं और नए विचार बड़े क्रांतिकारी होते हैं।’ परन्तु,

मीत सुहाने दिन ना लौटे ,
मौसम लौटा , बारम्बार.

बादल आये पंख पसारे,
भीग गए सब आँगन द्वारे,
पुरवैया के झोंकों ने फिर
छेड़ा राग मल्हार.
मीत सुहाने दिन ना लौटे………

महक उठीं अलसाई बेलें,
पत्ती, पत्ती बूँदें खेलें.
कलियों के कानों में मीठा,
भंवरों का गुंजार.
मीत सुहाने दिन ना लौटे……

कच्चे पक्के रंग उड़ाता,
मौसम यादें लेकर आत़ा.
कुछ इमली सी खट्टी मीठी,
कुछ तीखी रसदार.
मीत सुहाने दिन ना लौटे…..

मन द्वारे पर दस्तक देते,
बीते पल के पवन झकोरे,
स्मृतियों की बूँद में डूबा,
आँखों का संसार.
मीत सुहाने फिर ना लौटे,
मौसम लौटा बारम्बार.

-संजीव निगम
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