हायकूः धूप

धूप उजास
दिन कातता रहा
ऊन के गोले ।

-डॉ. सुधा गुप्ता

धूप लहरें
माणिक बरसाता
गुलमोहर

सूरज जमा
दिन हुआ बर्फ सा
धूप ठिठुरी

दिया ऋतु ने
कच्ची धूप सा सोंधा
हारसिंगार

सर्द हवाएं
कोहरे की चादर
आओ ना धूप

सूर्य सुबह
धूप ओढ़ के आया
सभी को भाया

झरती बर्फ
रुई रुई मौसम
खो गयी धूप

कड़ी धूप मे
बेकल से परिंदे
सूर्य में आग

रुई सी भोर
धूप के सायों संग
खिली खिली सी

धूप पतंग
सांझ के कंधे पर
अटक गयी

रात की स्याही
भोर के कागज़ पे
धूप कलम

पंक्तिबद्ध सी
फूल की पंखुड़ियां
धूप पतंग


तपता सूर्य
धूप की लहरों में
अंगारा दिन

साँझ आई तो
सूरज ने उतारा
धूप का चश्मा

आंगन छाई
चुटकी भर धूप
मुट्ठी में कैद

चमकती सी
रसमय थी भोर
भीगी धूप में

धूप कड़ी थी
सबके मन भाया
पेड का साया

ठंडा मौसम
बादल की ओट में
छुपी थी धूप

कच्चे ख्वाब- सा
आता -ज़ाता मौसम
धूप -छाँव- सा

सूर्य दीप तो
धूप जलती हुई
अगरबत्ती

खोल-सी गयी
सरजमुखी धूप
सूर्य की आँखें

नभ ने खोली
सूर्य की पोटली तो
धूप निकली

सूर्य पेड़ से
धूप के पत्ते गिरे
हवा में उड़े

सूर्य झरना
सहस्त्रधार धूप
धरा पर लुढकी

सूर्य निकला
स्वर्णिम रथ पर
सागर पार

पहाड़ों तक
विदाई ले शाम से
सूरज लौटा

अलसुबह
सूर्य के कंधे चढ़
उषा उतरी

कांपे कोहरा
जाड़ों की दुपहरी
सूर्य न आया

धूप रेवड
गडरिया सूरज
हांक ले गया

किरणे बुने
सूरज चरखे पर
पूनी सी धूप

पंखुरी उडी
सूर्य हवा चली तो
ओस फूल की

धूप का लगा
उबटन- सूरज ने
रूप निखारा

बूढा सूरज
सांझ की लाठी थाम
घाटी उतरा

सरस्वती माथुर , जयपुर, भारत

रश्मि किरणें
बिखरीं चहुँऔर
ओजस्वी रूप

चहके नित
इतउत उड़ती
धूप गौरैया

बीच आंगन
कभी मुंडेर चढ़ी
कभी छत पे

रवि दे जाता
प्रकाश की किरणें
सार जीवन

डालडाल पे
इत इत फुदके
आनंदमग्न

रंग औ रूप
जीवन का स्पंदन
इसके बल

समदर्शी हैं ज्योति से मंडित
सूर्य देवता

प्राण जग के
चहचह विहग
इनको देख

आस सूरज
दुनिया एकटक
सूरजमुखी

भोर किरन
आंगन में उतरी
संग गौरैया।

धूप सुंदरी
खिलखिल लुढ़के
हरी घास पे

अलस धूप
आंगन में लेटी है
रानी बेटी है।

जादू-सा फैला
फुनगियों पे सोना
लगे सुहाना

तपता रवि
बेचैन दुपहरिया
सागर कूदा

आइसक्रीम
मीठा दो शरबत
प्यास बुझाओ

बिल्ली सी आती
दबे पाँव लौटती
सोंधी जो धूप

औषधि जैसी
अंग-अंग को सेके
जाड़े की धूप


सखी सहेली
खेले आँख मिचौली
पेड़ो दुबकी

गर्मी में यही
माथा है तिरकाती
बहा पसीना

सुहानी थी जो
अब आग का गोला
तेज प्रचंड

ऋतु माफिक
कोमल या कठोर
धूप सजीली

शैल अग्रवाल
बरमिंघम यू.के.

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