हंस उड़ गया अकेलाः डॉ एम एल गुप्ता आदित्य

अत्यंत दुख सहित मुझे यह सूचित करना पड़ रहा है कि मेरी धर्मपत्नी डॉ श्रीमती कामिनी गुप्ता का दिनांक 14 मार्च 2018 को दिल्ली के एक अस्पताल में निधन हो गया है। वे पिछले 5 वर्षों से कैंसर जैसे असाध्य रोग से पीड़ित थीं। उन्होंने आखिरी समय तक भी अपना साहस और धैर्य नहीं छोड़ा बल्कि जीवटता का परिचय देते हुए न केवल घर का पूरा कार्य संभाले रखा बल्कि मुझे साहस प्रदान करती रहीं।

तउनकी हालत और भविष्य की कल्पना कर असंख्य बार मेरी आँखों से आंसू बहे होंगे लेकिन उन्होंने सब जानते- समझते हुए अंत तक भी एक आंसू नहीं गिराया । उन्होंने अंतिम क्षण तक भी अपनी बीमारी से हार नहीं मानी लेकिन विधि के विधान के सम्मुख विवश थीं।
वे अंत तक हिंदी शिक्षण का कार्य करती रहीं तथा वैश्विक हिंदी सम्मेलन के कार्य में सहयोग देती रहीं। मेरे हर लेख की प्रथम पाठक व समीक्षक होती थीं और सुझाव देती थीं। वे स्वयं एक अच्छी लेखिका व कवयित्री भी थीं । बिना अनकी सलाह के मेरा कोई भी छोटा-बड़ा कार्य पूर्ण न होता था।
मैं हिंदी के प्रयोग में प्रसार के लिए जो कुछ भी कर पा रहा था उसमें मूल रूप से उनकी शक्ति व भावना निहित थी। वे परिवार की धुरी वह मेरी प्रेरणा होने के साथ-साथ मेरे सभी कार्यों में सक्रिय रुप से सहयोग प्रदान करती थी। गृह मंत्रालय राजभाषा विभाग के मुंबई क्षेत्रीय कार्यालय में प्राध्यापक पद पर कार्यरत थीं और वैश्विक हिंदी सम्मेलन की व्यवस्था प्रभारी भी थीं।
वे सदैव पर्दे के पीछे रहकर कार्य करने में यकीन रखती थी। सामाजिक स्तर पर अथवा भाषा के कार्य में मैं जो कुछ थोड़ा बहुत योगदान कर पाता था वह उन्हीं की के बल पर संभव था।

आज जबकि वे हमें छोड़ कर चली गई है मैं अपने आप को अशक्त व अकेला अनुभव कर रहा हूं। अब बच्चों का और पूरे परिवार का
कार्यभार भी जो अब तक लगभग पूरी तरह उन्होंने अपने कंधों पर ले रखा था अब मेरे कंधों पर आ गया है।

हर बात में , हर चीज में , हर काम में उनकी असंख्य स्मृतियाँ हैं। हर स्मृति अश्रुधार बन कर छलक जाती है।
उनके बारे में जितना भी क हा जाए कम ही होगा।

वे एक आदर्श पत्नी, प्रेमिका, अर्धांगिनी होने के साथ-साथ एक विवेकशील धैर्यवान व कर्तव्यपरायण व अत्यधिक सशक्त मिलनसार महिला थीं।

ऐसा प्रतीत होता है कि लगता है कि उनकी शक्ति के जाने से मैं शव हो गया हूं। आज उन्हें स्मरण करते हुए मैं उन्हें हृदय से नमन करता हूं।

डॉ एम एल गुप्ता आदित्य
निदेशक , वैश्विक हिंदी सम्मेलन
mlgdd123@gmail.com

( सन 2009 में मुंबई में पहली और अकेली मुलाकात हुई थी परन्तु उन्होंने अपने सहज और आत्मीय व्यवहार से पल भर में ही मन मोह लिया था।
लेखनी परिवार की ओर से भी एक सुसंस्कृत और जीवट मिज्ञ, श्रीमती कामिनी गुप्ता जी को विनम्र श्रद्धांजलि । भगवान से परिवार व मित्रों के लिए इस असह्य दुख की घड़ी में हम शक्ति और शांति की प्रार्थना करते हैं। )

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