बात ज़रा सी थी; एक झन्नाटेदार थप्पड़ ईव के गाल पर पड़ा। वह संभल नहीं पाई, कुर्सी और मेज़ से टकराती हुई ज़मीन पर जा गिरी। उसका बायां हाथ स्वतः गाल पर चला गया, लगा कि जैसे उसका चेहरा ऊबड़-खाबड़ हो गया हो। जबड़े की हड्डियां एक दूसरे पर चढ़ गयी थीं और दर्द के मारे उसका बुरा हाल था उसने उठने की कोशिश की, उसकी आँखों के आगे तारे घूम गए।
सुबह की व्यस्तता में, ईव के हाथ लगने भर से मेज़ पर रखी दूध की खुली बोतल लुढ़क गयी थी। कॉर्न-फ़्लैक्स में एडम दूध डालने ही वाला था कि यह दुर्घटना घट गई।
एडम को एहसास हो गया कि चांटे के लिए यह समय उपयुक्त नहीं था। ईव और रोबिन दोनों के स्कूल जाने का समय था; पड़ोस, स्कूल-बस अथवा स्कूल में उसकी क्रूरता उजागर हो सकती थी। उसे सावधानी बरतनी चाहिए थी; अपने बचाव के लिए उसका दिमाग़ तेज़ी से दौड़ने लगा।
‘आइ एम रियली वेरी सॉरी, डार्लिंग,’ कहते हुए एडम ने बड़े प्यार से पत्नी को सहारा देकर कुर्सी पर बैठा दिया और अपना सिर ईव के घुटनों पर रख कर उसके क़दमों में बैठ गया। ऐसी परिस्थितियों में एडम के अतिरिक्त, स्वयं अपने प्रति, ईव की वितृष्णा चरम सीमा पर होती है क्योंकि वह जानती है कि एडम उसकी कमज़ोरी का फ़ायदा उठा रहा है, फिर उसको बेवकूफ़ बना रहा है। अपने भय, भीरुता और कमज़ोरी पर शर्मिन्दा होने के सिवा वह कुछ नहीं कर पाती। पर बस अब और नहीं, जो होगा देखा जाएगा। अधिक से अधिक वह उसकी हत्या ही तो कर सकता है। वह ज़िंदा है तो केवल अपने इकलौते बेटे रॉबिन के लिए। उसे देखती है तो वह फ़ीनिक्स की मानिंद फिर-फिर ज़िंदा हो उठती है।
प्रतिवाद के लिए ईव ने अपने भिंचे हुए दांतों को ज़रा सा खोला भर था कि मुंह में भरा ख़ून यकायक फूट पड़ा, जो एडम के हाथों और कपड़ों पर भी गिरा।
‘फ़क्किंग हैल,’ कहता हुआ एडम ग़ुसलख़ाने की ओर लपका।
ईव किचन-टीशुज़ से अपना चेहरा साफ़ करने लगी। खून से लथपथ टीशूज़ की लुगदी बन गयी थी; इतना खून! वह अचेत हो गयी। होश आया तो वह अपने बिस्तर पर थी, एडम नदारद था। वह उठ कर सीधे गुसलख़ाने में पहुँची, शीशे में अपना सूजा हुआ चेहरा देखा तो उसे एक बार फिर चक्कर आ गया; ऐसी हालत में वह स्कूल कैसे जा पाएगी? चेहरे पर पड़े नीले-पीले दाग़ भारी मेक-अप के नीचे भी नहीं छिपेंगे; इस घाव के लिए कोई बहाना नहीं बनाया जा सकता था। भीषण पाठ्यक्रम के चलते अध्यापकों के लिए छुट्टी लेना लगभग अपराध माना जाता है। उनके भीषण परिश्रम को नज़रन्दाज़ करते हुए लोग केवल उनकी छुट्टियों से रश्क़ करते हैं। रॉबिन के अलावा, स्कूल ही तो उसका सहारा है, जहां जाकर वह अपने सारे दुःख-दर्द भूल जाती है; कहीं उसे स्कूल से निकाल दिया गया तो?
खटपट सुनकर एडम ग़ुसलख़ाने में आ धमका, ‘डार्लिंग, आर यू ऑल राइट नाउ?’ एडम ने बड़े प्रेम और चिंतित स्वर में पूछा।
‘लीव मी अलोन,’ दर्द और ग़ुस्से की वजह से ईव ठीक से बोल नहीं पाई।
‘आई सेड, आई एम सॉरी, ‘एडम ने उसे झिड़का; यही क्या कम था कि उसने माफ़ी मांग ली थी।
‘सॉरी’ कह देने से क्या उसका दर्द मिट जाएगा, उसके टूटे हुए दांत जुड़ जाएंगे? उसके अनादर और अपमान का क्या? अपने सिवा एडम को किसी से हमदर्दी नहीं है। कभी-कभी वह सोचती है कि क्या परिस्थिवश एक दिन वह रॉबिन को भी दाव पर लगा सकता है?
इस वक्त तो एडम बात को दबाना चाहता था इसलिए वह दनदनाता हुआ रॉबिन के कमरे में चला गया।
‘मम्मी इज़ मेकिंग ऐ सीन अगेन, पर तुम तो मेरे समझदार बेटे हो, तुम किसी से कुछ नहीं कहना, ओके?’ ईव तो जानती ही थी कि वह रॉबिन को बहला-फुसला कर चुप रहने को कहेगा।
‘व्हाट हैप्पंड टू मम्मी?’ रॉबिन ने दृढ़ता से पूछा।
‘व्हाट हैप्पेन्स इन एव्री फ़ैमिली, माई लिटिल मैन। कोई पूछे तो कह देना कि मम्मी बाथरूम में फिसल गयी थी, अब जल्दी से तैयार हो जाओ, शाम को हम मैक्डोनाल्ड चलेंगे।’
ईव के न चाहने पर भी एडम आज रात को उसके साथ भी ज़ोर-ज़बरदस्ती करेगा और वह कसमसा कर रह जाएगी कि कहीं रॉबिन न सुन ले। एडम सोचता है कि सैक्स से औरत को पराभूत किया जा सकता है। ऐसी रातों को ईव अतिरिक्त विरक्त रहती है, उसके मृतप्राय शरीर पर चपेटें मार-मार कर जगाने के प्रयत्न में विफल एडम झुंझला कर शराब पीने बैठ जाता है या घर से बाहर चला जाता है। ईव नहीं चाहती कि वह लौटे। हर दिन दर्जनों दुर्घटनाए घटती हैं, लोग ट्रेन और बसों के नीचे दब कर मर जाते हैं, हृदयाघात से न जाने कितने युवा लोग स्वर्ग सिधार जाते हैं पर बदकिस्मत ईव के घर ऐसा कुछ नहीं होने वाला। जाने किन बुरे कर्मों की उसे सज़ा मिल रही है।
विवाह के पहले ही हफ़्ते में ग़ुसलख़ाने में अधिक समय लगाने की वजह से एडम ने जब उसे चांटा मारा था तो वह सक़ते में आ गयी थी। तब उसे अपनी माँ की याद बड़ी शिद्दत के साथ आई थी; लगा कि उसी वक्त भाग कर माँ की गोद में छिप कर फफक फफक कर रोकर उनसे अपनी व्यथा को बांटे पर वह हिम्मत नहीं जुटा पाई। प्रेम-विवाह के बाद मायका छूट चुका था; पिता अपनी लाडली और इकलौती बेटी की शक़्ल भी देखने को तैयार नहीं थे। यह घर छोड़ा तो वह कहाँ सिर छिपाएगी?
एडम को बच्चों में कोई दिलचस्पी नहीं थी; वह नहीं चाहता था कि उनके संतान हो। जब ईव ने गर्भपात के लिए साफ़ इंकार कर दिया था तो एडम ने उसके पेट पर लात दे मारी थी। ईव के डॉक्टर से शिकायत कर देने की धमकी पर ही वह पीछे हटा था क्योंकि नर्सों और डाक्टरों द्वारा ईव के नियमित जांच के दौरान ऐडम की पोल खुल सकती थी। कोख में भ्रूण के साथ-साथ एडम के अंतर में भी एक क्रोध पलने लगा। ईव के छोटे मोटे अपमान तो वह सुबह शाम किया करता था; कभी कभी वह उसकी पीठ अथवा कन्धों पर धौल भी जमा दिया करता। हालांकि ईव अपनी सुरक्षा का ध्यान रखती थी और एडम के लौटने से पहले वह अन्धेरा करके सो जाने का उपक्रम करती किन्तु जब वह लौटता तो कभी उसके बाल खींचता या उसका हाथ मरोड़ देता। वह जल्दी से उठ कर दूसरे कमरे में चली जाती और कमरे को अंदर से लॉक कर लेती।
स्वार्थी और मतलबी होने की वजह से एडम के अधिक दोस्त नहीं थे। वह सिर्फ़ आस-पड़ोस की महिलाओं और रॉबिन के स्कूल की हेडमिस्ट्रेस से बना के रखता था। पिछले दो ही महीनों में यह तीसरी बार था कि एडम ने उस पर हाथ उठाया था; पिछली बार जब रॉबिन अपने सोने के कमरे में जा चुका था, जहां से सुबह सात बजे से पहले बाहर निकलने की सख्त मनाही थी; एडम ने ईव को बुरी तरह झिंझोड़ डाला था। पिछली बार, मेक-अप के बावजूद वह अपने गले और बाँहों के निशान सह-अध्यापिका लिज़ी से छिपा नहीं पाई थी।
‘ईव, तुम्हें काउंसिल पर भरोसा नहीं है तो रॉबिन को लेकर मेरे घर चली आओ और जब तक तुम्हें ठिकाना न मिल जाए, वहीं रहो,’ लिज़ी के भरोसा दिलाने के बावजूद ईव जानती थी कि एडम से छुटकारा पाना ऐसा आसान नहीं था; वह उसे और रॉबिन को मृत्युपर्यन्त नहीं छोड़ेगा। रॉबिन को लेकर उसे छोड़ कर जाने की धमकी वह उसे पहले ही दे चुका था। जब तब वह अपने बचपन के दोस्त हैनरी का ज़िक्र करता रहता है जो एक प्रतिष्ठित वक़ील है। कहीं वे उसे रॉबिन से दूर न कर दें।
‘इस पैकेट को गाल पर लगाने से तुम्हें मिनटों में आराम आ जाएगा,’ कहते हुए एडम ने फ्रोज़न-मटर का पैकेट ईव के गाल पर लगाने की कोशिश की। ईव के झटक देने पर वह दांत पीस कर रह गया। रॉबिन स्कूल चला गया होता तो ज़रूर वह ईव पर फिर हाथ उठा देता। पिछली बार ईव के सिर्फ यह कहने पर कि एडम को अपने ग़ुस्से का इलाज करवा लेना चाहिए, एडम ने उसे उसका हाथ बुरी तरह मरोड़ दिया था; बांह पर पड़े बड़े-बड़े नील वह सबसे छिपाती फिरी थी।
‘सूट योरसेल्फ,’ कहते हुए एडम मटर का पैकेट बिस्तर पर फेंकता हुआ और पांव पटकता हुआ बैठक में टीवी के सामने जा बैठा। प्लास्टिक के पैकेट को गाल पर लगाने से ईव के भन्नाते हुए माथे को कुछ राहत मिली।
वह कि किसी तरह एडम संभल जाए ताकि उनका परिवार न टूटे। गूगल- सर्च से उसे क्रोध और मानसिक स्वास्थ्य के विषय में कई वेबसाइटस मिलीं जो उसने एडम को भेज दीं ताकि वह इस दिशा में कुछ ठोस क़दम उठा पाए लेकिन मामला और भी बिगड़ गया; उसे लगा कि ईव को लिज़ भड़का रही थी जबकि वह ईव की सचमुच सहायता करना चाहती थी। उसी ने ईव को सलाह दी थी कि वेबसाइट्स पर लिखे परामर्श के अनुसार एडम के अतीत को कुरेदे, शायद कुछ ऐसा घटा हो जिसकी वजह से उसकी यह हालत हुई। सहवास के दौरान जब जब उसने एडम को कुरेदने का प्रयत्न किया, उसके हाथ सिर्फ थप्पड़ ही आए। अपनी सास से ज़िक्र करने भर का अर्थ था एडम का और भड़क जाना। जीपी से भी परामर्श किया किन्तु एडम तो समस्या को ही स्वीकार करने को तैयार नहीं था। वह क्या करे?
लिज़ी गोल्ड, जिसकी सहायक के रूप में ईव को नौकरी मिली थी, की छोटी बहन एडम की पहली गर्ल-फ्रेंड हुआ करती थी। उसी के माध्यम से लिज़ी एडम की बुरी प्रवृति के बारे में जानती थी किन्तु उसने ईव से कभी इस बात का ज़िक्र नहीं किया किन्तु जब उसने ईव की बाँहों और गले पर नीले पीले निशान देखे तो वह अपने को सलाह देने से रोक नहीं पाई कि एडम यदि उस पर फिर कभी हाथ उठाए तो उसे जल्दी से जल्दी पुलिस को ख़बर देनी होगी; ताज़ा सबूत मिलने पर उसका केस मज़बूत हो जाएगा और उसे एडम से आसानी से छुटकारा मिल जाएगा। कहना बहुत आसान होता है, विशेषतः एक नाबालिग बच्चे के साथ, जिसे एडम अपने नियंत्रण में रखता है। वह स्वयं एडम की चिकनी-चुपड़ी बातों में आ जाती है, प्यार-मनुहार से वह उसका बेवकूफ़ बनाने में हर बार क़ामयाब हो जाता है।
नाम के अलावा, एडम ने ईव की शख़्सियत ही बदल डाली थी, उसका असली नाम ईवा था। इश्कबाज़ी के आरंभिक दिनों में वह प्यार से उसे ईव कहने लगा और उसके न न करने के बावजूद, पासपोर्ट भी उसका नाम ‘ईवा’ से ‘ईव’ करवा कर ही माना था। फिर धीरे धीरे, छोटी स्कर्ट्स लम्बी होती चली गईं, स्लीवलेस टॉप्स की जगह बाहों वाले टॉप्स लिए गए, लम्बे झुमकों की जगह साधारण स्टड्स ने ले लीं … यह सब इश्क के नाम पर हुआ.…
आज तो एडम ने हद ही कर दी; अगली बार वह न जाने क्या करे? रॉबिन को भी ख़तरा हो सकता है। हेडमिस्ट्रेस को अपनी अस्वस्था की सूचना देने के लिए ईव ने अपने मोबाइल फ़ोन के लिए हाथ बढ़ाया तो देखा फ़ोन नदारद था। जब तक सूजन उतर नहीं जाती, एडम उसे किसी से मिलने नहीं देगा और ईव की खूब सेवा-टहल करने का नाटक करेगा ताकि वह उसकी पोल न खोल दे।
‘माफ़ करना, टेरेसा, ईव को फ़्लू हो गया है, रात भर बेचारी खांसती रही।’ ईवा के मोबाइल से ही एडम ईव की प्रिंसिपल से बातें बना रहा था; ‘वौइस ऑन’ थी ताकि ईवा सुन ले कि जब वह स्कूल जाए तो उसे एडम की पुष्टिस्वरुप क्या कहना होगा।
‘आजकल फ़्लू वायरस चारों तरफ़ फ़ैल रहा है, बेटे के साथ तो आपको और भी केयरफुल रहना होगा। आप भी वाईटमिन-सी लेना मत भूलिएगा,’ दोनों की बातें देर तक चलती रहीं। अड़ोस-पड़ोस में सबसे एडम की अच्छी दोस्ती है पर ईव के नज़दीक वह किसी को फटकने तक नहीं देता। वह अपने परिवार से सम्बन्ध जोड़ सकती थी किन्तु एडम ऐसा बिलकुल नहीं चाहता था।
‘एडम इज़ सच ऐ फैबुलस गाई, ईव, यू आर सो लक्की,’ लोग कहते हैं; ऐसे में किसी को उसके बारे में कुछ बताना दीवार से सिर पत्थर फोड़ने के बराबर है।
‘मर्द तो मर्द रहेंगे, एडम को कभी गुस्सा आ जाए तो तुम चुप लगा के बैठ जाया करो, वह मिनटों में ठंडा पड़ जाता है, है के नहीं? और फिर वह तुम्हारे आगे-पीछे भी तो घूमता होगा,’ एडम की माँ, मौरीन, जिसे अपने इकलौते बेटे के उग्र रूप की ख़ासी जानकारी है, ईव को सलाह देती रहती है।
लैंडलाइन है नहीं और उसके मोबाइल पर भी पहरा है; वह जानती है कि मौक़ा मिलते ही एडम उसके फ़ोन को चेक करता है। एक शाम इसी बात पर वह भड़क उठा था कि ईव की माँ ने क्यों फ़ोन किया था।
‘इफ़ यू एवर ट्राइड टू विज़िट योर पैरेंट्स, डोंट एवर बौदर टू कम बैक टू माई हाउस।’
टी.वी पर एडम ख़बरें सुन रहा है, जो ईव को साफ़ सुनाई दे रही हैं। किसी सैली चालान के विषाद भरे जीवन के विषय में बात हो रही है, जिसे आजीवन क़ैद से रिहा कर दिया गया है। रेडियो-अनाउन्सर किसी मनोचिकित्स्क से बात कर रहा है। ईव ने अपने शयन-कक्ष का दरवाज़ा थोड़ा सा खोल लिया है ताकि वह ठीक से सुन पाए। सैली के बेटों ने भी वही सच माना जो उनके पिता ने उन्हें सिखाया-पढ़ाया था और उसे पति की हत्या के जुर्म में आजीवन कारावास में डाल दिया गया। जब बेटे सोचने-समझने लायक़ हुए तो उन्हें एहसास हुआ कि उनकी माँ के साथ कितनी बेइन्साफ़ी हुई थी। मनोचिकित्सक कह रही है कि पतियों द्वारा सताई गयी महिलाओं को जनता आज भी शक की नज़रों से देखती है, कैसे उन्हें वकीलों, ज्यूरी और न्यायाधीश के सामने पेश किया जाता है और अधिकतर ऐसी औरतों को सबूतों की ठीक से जांच-पड़ताल किए बिना ईर्ष्यालु क़िस्म की मतलबी हत्यारन मान लिया जाता है। ‘डोमेस्टिक-एब्यूज़’ केवल शारीरिक ही नहीं होती, भावुकता, वित्त एवं सेक्स से भी जुड़ी होती है। जो औरतें हिंसा पर उतर आती हैं, उन्हें केवल खराब या पागल करार दे दिया जाता है जबकि उनकी मानसिक बीमारी उन पर किए गए अत्याचार की वजह से होती है।
एडम भी तो क्रोध में ईव से यही कहता रहता है, ‘यू आर सिक, शुक्र मनाओ कि मैं तुम्हें रॉबिन के पास भी जाने देता हूं।’ अचानक एडम ने टीवी बंद कर दिया है, शायद उसे शक़ हो गया था कि ईव सब कुछ सुन रही थी। इसके पहले कि वह कमरे में आता, वह उठ कर ग़ुसलख़ाने में चली गयी।
प्रेमविवाह के जुर्म के लिए ईव भी तो बामशक्कत क़ैद की सज़ा भगत रही थी; जहां एक क्रूर थानेदार की तरह एडम उसे रोज़ प्रताड़ित और अपमानित करता है। ईव की सिर्फ़ दो ही सहेलियां थीं, जिनसे मिलना भी दुश्वार हो गया था। दोनों कामकाजी युवतियां थीं तो दिन में तो उसने बात हो नहीं सकती थी। जब कभी उनके फ़ोन आते; एडम किसी न किसी बहाने उनकी बातचीत बंद करवा देता था, धीरे धीरे उन्होंने फ़ोन करना भी छोड़ दिया।
रॉबिन के स्कूल में जब ईव को नौकरी मिली तो भी एडम के कान खड़े हो गए थे किन्तु उसकी नौकरी की वजह से ही रॉबिन की फ़ीस में भारी कटौती होने लगी तो वह चुप लगा गया पर उसने वहाँ की प्रिंसिपल और उसके पति से दोस्ती गाँठ ली क्योंकि वह जानता था कि लिज़ी, जिससे उसे ख़तरा हो सकता था, उसकी बातों में वह नहीं आने वाली थी; वह बहुत कुछ जानती थी। ईव के अल्प वेतन पर भी एडम ने नियंत्रण रखा; ईव पूरी तरह पराधीन थी।
नौ बजे के क़रीब, ट्रे में एक लाल गुलाब के फूल के साथ एडम चाय और बिस्किट्स लिए प्रकट हुआ। ईव का मन हुआ कि ट्रे को उसके मुंह पर दे मारे और किसी तरह घर से निकल भागे। उसके दिलो-दिमाग़ ग़ुस्से और कुंठा से ऐसे भरे थे कि उसे कुछ और नहीं सूझ रहा था। उसकी नब्ज़ को एडम ख़ूब पहचानता था कि कब कैसे और कहाँ वह उसे पटकनी दे सकता था। ईव इस वक्त किसी तरह घर से बाहर खुली हवा में सांस लेना चाहती है, यह एडम बख़ूबी जानता है, वह किसी हालत में उसे अपनी आँखों से दूर नहीं होने देगा। किसी के घर आने का भी तो अंदेशा नहीं। एक केवल लिज़ी ही है जो एडम के दुर्व्यवहार के बारे में सब जानती है और मदद करने को तैयार है।
‘मम्मी, मम्मी, वेयर इज़ माई ब्लू ब्लेज़र?’ पूछता हुआ रॉबिन कमरे में आ पहुंचा।
‘जल्दी से तैयार हो जाओ, रॉबिन, तुम्हारी स्कूल बस आती होगी,’ एडम ने रॉबिन को बीच रास्ते में ही पकड़ लिया।
‘इज़ मम्मी स्टिल इन बेड?’
‘शुश, मम्मी सो रही हैं, उनकी तबीयत ठीक नहीं है, बी ऐ गुड ब्वाय, जल्दी से तैयार हो जाओ,’ रॉबिन के बालों को उलझाते हुए एडम उसे बाहर ले गया।
‘मेरी तबीयत भी ठीक नहीं है, डैडी, क्या मैं कार्टून्स देख सकता हूँ?’ पिता के हाथ से रिमोट लेकर रॉबिन सोफ़े पर पालथी मारते हुए बैठ गया।
‘ओ.के, आज हम दोनों टीवी देखते हैं और मम्मी के लिए सूप और ब्रेड बनाते हैं,’
‘थैंक-यू, डैडी, हुर्रे, आई विल बेक ऐ ब्रेड फ़ॉर मम्मी।”
‘रॉबिन, आज तुम्हारा टैस्ट है, तुम छुट्टी नहीं ले सकते,’ अपने दुखते जबाड़े को सम्भालते हुए ईव ने चिल्ला कर कहा ताकि बैठक में दोनों उसकी बात सुन लें।
इसके पहले कि एडम उसे रोकता, रॉबिन भागता हुआ कमरे में आ पहुंचा किन्तु मम्मी का चेहरा देख कर वह सक़ते में आ गया।
‘व्हाट हैपेंड, मम्मी, डिड यू हैव ऐन एक्सीडेंट?’ रॉबिन ने घबरा कर पूछा। ईव ने बेटे को तसल्ली देनी चाही किन्तु उसके मुंह से कुछ नहीं निकला, सिर्फ़ आंसू बह निकले, जो गाल पर जमे हुए ख़ून में मिल कर धब्बों में तब्दील हो गए।
‘कुछ नहीं, रॉबिन, सुबह मम्मी सीढ़ी से फिसल गयी थी,’ एडम ने रॉबिन के दोनों कन्धों पर हाथ रखते हुए कहा और उसे बाहर ले गया।
पिछली बार तो एडम ने बेटे के सामने ही ईव की पीठ पर एक धौल जमा दी थी और रॉबिन के पूछने पर कहा था कि वह तो सिर्फ़ मज़ाक कर रहा था हालांकि ईव के चेहरे पर कुछ और ही लिखा था। बच्चे बड़े चतुर होते हैं और ऐसे बहुत से प्रश्न रॉबिन के मन में भी घूमा करते हैं।
‘आप तो कह रहे थे कि मम्मी की तबीयत ठीक नहीं है…,’ रॉबिन छिटक कर अपने कमरे में भाग गया। पिछले हफ़्ते की ही तो बात है, उसकी अध्यापिका ने बच्चों को माँ-बाप के हिंसक व्यवहार के विषय में जानकारी दी थी; क्या यह वही तो नहीं?
स्कूल के लिए तैयार होकर वह तभी नीचे उतरा जब उसकी बस घर के बाहर आ पहुँची। एडम ने उसका लंच-बॉक्स यह सोच कर नहीं तैयार किया था कि वह स्कूल नहीं जाएगा पर रॉबिन धड़धड़ाता हुआ दरवाज़ा खोल कर बस में जा बैठा।
‘रॉबिन तुम्हारा लंच?’ घबराया हुआ एडम बाहर भागा।
‘कोई बात नहीं, एडम, आज वह स्कूल में ही खा लेगा,’ पड़ोसन हेलन बोली, जो अपने बेटे को बस तक छोड़ने आई थी।
‘ईव और रॉबिन दोनों की तबीयत कुछ ढीली है, मैंने सोचा कि वह स्कूल नहीं जाएगा,’
‘ओह, क्या ईव बीमार है?’
‘हाँ, उसे तेज़ बुख़ार है,’
‘आजकल फ़्लू का ज़ोर है, एडम। उबले पानी में शहद मिला कर उसे दिन में कई बार पिलाओ,’
‘थैंक्स हेलेन, मैं बस वही कर रहा हूँ,’
‘ईव के लिए दोपहर को मैं चिकन-सूप बना कर ले आऊंगी, वो मेरा इतना ख़याल रखती है…’
‘नहीं नहीं, इसकी कोई ज़रुरत नहीं, मैंने आज छुट्टी ले ली है,’
‘अरे वाह, पति हो तो ऐसा,’ कहते हुए हेलन अपने घर में घुस गयी। एडम ने चैन की सांस ली पर उसे रॉबिन की फ़िक्र थी। प्रिंसिपल उसकी अच्छी मित्र है, यदि रॉबिन ने कुछ कहा तो वह अवश्य उसे फ़ोन करेगी। अधीर हुआ वह ग़ुस्से में रिमोट पर चैनल-सर्फ़िंग करने लगा, क्या ज़रुरत थी ईव को बिस्तर से बाहर निकलने की?
क़रीब एक घंटे के बाद ईव तैयार होकर कमरे से बाहर निकली और बाहर के जूते पहनने लगी; एडम कूद कर उसके पास चला आया।
‘डार्लिंग, कहाँ जा रही हो? कुछ चाहिए तो मुझे बताओ?’ उसका कोट उतारते हुए एडम बड़े मीठे स्वर में बोला; मन तो कर रहा था कि ईव की जम कर पिटाई कर दे।
‘मुझे डेंटिस्ट के पास जाना पड़ेगा, मेरा दांत हिल रहा है।’ सपाट आवाज़ में ईव बोली।
‘मुझे देखने दो,’ कहते हुए उसने ईव के मुंह में झाँका; दाढ़ इतनी सूजी हुई थी कि उसे कुछ दिखाई नहीं दिया।
‘मुझे नहीं लगता कि कुछ टूटा-फूटा है, कल तक सब ठीक हो जाएगा, डार्लिंग। हैव पेशंस,’
‘मैं इससे ज़्यादा दर्द नहीं सह सकती,’
‘डार्लिंग, मैं तुम्हें दो पैरासीटामॉल देता हूँ, देखना, कुछ घंटों में दर्द छूमंतर हो जाएगा। शाम को हम तुम्हारी पसंद के रेस्टॉरेंट में डिनर के लिए जाएंगे।’ ईव को आलिंगन में लिए वह कमरे में ले आया।
‘मैं जानवर नहीं हूँ, जिसे पीट कर एक हड्डी दे दी जाए और वह दुम हिलाने लगे,’ अपने हाथों से गाल दबाते हुए ईव बड़ी मुश्किल से बोल पा रही थी। वह एडम की शक्ल भी नहीं देखना चाहती थी लेकिन गुस्से में वह चुप न रह सकी।
‘तुम्हारी प्रॉब्लम बस यही है, एक छोटी सी बात का बतंगड़ बना लेना,’
‘अगर यह छोटी सी बात है तो मुझे तुम डेंटिस्ट के पास क्यों नहीं जाने दे रहे?’
‘इसीलिए कि ज़्यादातर लोग तुम्हारी तरह मूर्ख हैं, चेहरे पर ज़रा सा निशान देख लेंगे तो सौ बातें बनाएंगे,’
‘यह तुम्हें छोटा सा निशान दिख रहा है?’
‘सूजन के उतरते ही देख लेना, इट्स नॉट ऐ बिग डील,’
‘तो तुम मुझे डेंटिस्ट के पास नहीं जाने दोगे,’
‘मैं कह रहा हूँ न कि पैसे बर्बाद करने की कोई ज़रुरत नहीं है,’ एडम अपना गुस्सा दबाते हुए बोला।
‘क्या मैं तुम्हारी क़ैद में हूँ?’ ईव ने इस बार एडम से आँखें मिलाते हुए पूछा, बहुत सह चुकी, क्या करेगा? एक थप्पड़ और मार देगा।
‘डार्लिंग, तुम कैसी बातें कर रही हो? यह तुम्हारा घर है, जेल नहीं एंड आई लव यू सो मच,’ एडम का ग़ुस्सा यकायक काफ़ूर हो गया था; वह जान गया कि इस वक़्त ग़ुस्से से काम नहीं चलेगा।
‘ये सब यह तुम्हारे लव की निशानियाँ हैं,’ ईव ने अपने चहरे को आगे करते हुए पूछा।
‘डार्लिंग, क्या तुम अब सारी ज़िंदगी मेरे ज़ख्मों पर नमक छिड़कती रहोगी? कांट वी मेक-अप?’
‘मेक-अप, कितने दिन के लिए? जब तक तुम मुझे फिर न मारो, अगली बार, इससे कहीं अधिक ज़ोर से?’
‘अब ऐसा नहीं होगा, डार्लिंग, आई प्रॉमिस यू,’ वह ईव का हाथ सहलाते हुए बोला।
‘यही तुमने पिछली बार भी कहा था और मैंने तुम्हें सच्चे दिल से माफ़ भी कर दिया था पर अब…’
‘अब क्या? अब क्या करोगी? थाने जाकर रिपोर्ट करोगी?’ एडम एकाएक उग्र हो उठा; एडम की आँखों में खून उतर आया था।
‘नहीं, रॉबिन न होता तो शायद मैं ऐसा करने की सोचती पर…,’ ईव संभल गयी; वह जानती थी कि ग़ुस्से में एडम कुछ भी कर सकता था। रोज़ अखबारों में पढ़ती रहती थी कि पति अथवा पत्नी ने बच्चों की ह्त्या करने के बाद आत्महत्या कर ली। उसे संयम से काम लेना होगा ताकि एडम को उसपर शक न हो।
‘पर क्या?’
‘मेरे और अपने लिए न सही, एडम, हमारे बेटे के भविष्य के बारे में तो सोचो। डाक्टर से सलाह लो, आजकल बहुत से एंगर-मैनेजमेंट कोर्स…’
‘एक या दो बार मुझे गुस्सा क्या आ गया, वो भी तुम्हारी बेवकूफियों की वजह से, तुम सोचती हो कि मैं पागल हूँ?’
‘अभी तो मैं बस डेंटिस्ट के पास जाना चाहती हूँ, तकलीफ़ बहुत ज़्यादा है,’ दर्द इतना अधिक बढ़ चुका था कि वह अपना सिर मेज़ पर पटकने लगी; इससे तो अच्छा है कि एडम उसकी ह्त्या ही कर दे।
तभी दरवाज़े की घंटी बजी। ईव को शयन-कक्ष में धकेलता हुआ एडम दरवाज़े की ओर लपका; हेलन हाथ में एक थर्मस लिए खड़ी थी।
‘हेलो, हाउ इज़ ईव नाउ?’ कहते हुए हेलन ने अपना पैर दरवाज़े के अंदर रख दिया।
‘शी इज़ स्लीपिंग,’ हेलन के हाथ से थर्मस पकड़ते हुए एडम फुसफुसाया।
‘ओह! तुम्हें कुछ काम-वाम हो तो जाओ, मैं ईव की देखभाल कर सकती हूँ,’ हेलन ने अंदर झाकते हुए कहा।
‘अरे नहीं, हेलन, बट थैंक यू सो मच, मैं आज घर से ही काम कर रहा हूँ,’
‘ओके देन, ईव को मेरी शुभ-कामनाएं दे देना,’ कहती हुई हेलन अपने घर चली तो आई। दरवाज़े की आड़ में से उसे ईव का लाल-नीला चेहरा दिख गया था; शक़ तो ख़ैर उसे पहले से ही था। ऐसे ही काले-नीले धब्बों को देख कर जब-जब हेलन ने ईव से स्पष्टीकरण माँगा; उसे बताया गया कि वह सीढ़ी से गिर गयी थी अथवा ग़ुसलखाने में फिसल गयी थी।
क्या किया जाए? पुलिस को बुला भी ले और ईव बयान देने से मुकर जाए तो हेलन बेकार में बुरी बन जाएगी। पर उससे रहा नहीं गया; उसने लिज़ी से बात की।
‘ओह माई गॉड, आई होप ईव इज़ सेफ़। एडम ने तो फ़ोन पर टेरेसा को बताया था कि उसे फ़्लू है,’ लिज़ी सचमुच घबरा गयी।
‘बताया तो मुझे भी यही था पर उसने मुझे घर के अंदर क़दम भी नहीं रखने दिया। मुझे लगता है कि ईव शयन-कक्ष के दरवाज़े पर आकर इसलिए खड़ी हुई थी ताकि मुझे उसके चेहरे पर लाल नीले धब्बे दिखाई दे जाएं,’ लिज़ी यह बात छिपा गयी कि ईव उसे विश्वास में लेकर एडम के गुस्से और मार-पीट के विषय में बता चुकी थी।
‘ठहरो, मैं रॉबिन से बात करती हूँ, शायद वह कुछ बता पाए,’ कहते हुए लिज़ी ने फ़ोन रख दिया और रोबिन को लेकर सीधे प्रिंसिपल के दफ्तर में पहुँची।
‘रॉबिन, तुम्हारी मम्मी कैसी हैं?’ लिज़ी ने रॉबिन से बातों-बातों में पूछा।
‘उन्हें बुखार है,’ रॉबिन ने अपने पिता का कहा दोहरा दिया।
‘अच्छा, तो उनके चेहरे पर चोट कैसे लगी? गिर गयी थी क्या?’
‘मैं भी यही सोच रहा था कि बुखार में इतना उनके मुंह से खून कैसे बह रहा था,’ जो बात रॉबिन की समझ से बाहर थी, उसे तो वह अवश्य जानना चाहता था।
‘ओह, मैं उनका हाल पूछना चाह रही थी पर तुम्हारी मम्मी फ़ोन ही नहीं उठा रही,’
‘मम्मी का फ़ोन तो डैडी के पास था,’
प्रिंसिपल ने उसी वक्त फ़ोन पर सोशल-वर्कर से सलाह ली। ईव की जान को ख़तरा था, सोच समझ कर पुलिस को इत्तला दे दी गयी।
दरवाज़े की घंटी बजी तो एडम ने यही सोचा कि हेलन फिर किसी बहाने से आई थी। एडम के चुप रहने के इशारे के बावजूद ईव कराह रही थी। दरवाज़ा खोलने से पहले, उसने बड़ी बेदर्दी से उसके मुंह पर सेलो-टेप चिपका दी और कुर्सी पर बैठा कर उसके हाथ बाँध दिए। कोई दरवाज़ा पीट रहा था और साथ में ही बेल भी बज रही थी। ईव अपने हाथ छुड़ाने की भरसक कोशिश कर रही थी, उसके गीले चेहरे से सेलो-टेप तो स्वयं ही खिसक चुका था।
‘येस,’ गुस्से में एडम ने दरवाज़ा खोला तो उसे चौखट पर एक महिला के साथ दो पुलिस वाले खड़े दिखाई दिए।
‘व्हाट इज़ इट, ऑफ़िसर?’
‘कैन वी कम इन, प्लीज़?’
सॉरी, ऑफ़िसर, मेरी बीवी बहुत बीमार है, लेट अस जो आउट एंड टॉक,’
‘कैन वी टॉक टू यौर वाइफ़, प्लीज़?’
‘शी हैज़ गौन टू द डेंटिस्ट,’ एडम ने हड़बड़ा कर कहा।
तभी ईव दरवाज़े पर आ खड़ी हुई; उसके सूजे हुए चेहरे पर अध-चिपकी टेप थी। किन्तु हौसला बुलंद, वह सैली चालान की तरह एक लम्बे कारावास में बिना कोई जुर्म किए सज़ा नहीं काटेगी। वह एडम की ईव नहीं, ईवा है।
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