हास्य-व्यंग्यः नेता जी लाइन में हैं-हरि जोशी / लेखनी-नवंबर-दिसंबर 17


उस दिन एक आश्चर्यजनक घटना हुई|एक नेताजी सामान्य लोगों के साथ लाइन में लगे थे|भोलू ने दांतों तले अंगुली दबा ली,अरे आज सूरज पश्चिम से कैसे उग आया|
वह आँखें फाड़ फाड़ कर आश्चर्य व्यक्त कर रहा था ,देखो तो आज नेताजी लाइन में लगे हैं ?क्या आज जनता जनार्दन दिवस है ? भारत में व्यक्ति अपना महत्व ही इसलिए बढाकर रखना चाहता है कि उसे लाइन से मुक्ति मिले |जो लाइन में खड़े हो जाते हैं वे बेचारे लाइन में ही बने रहते हैं| लाइन कभी खत्म होने का नाम ही नहीं लेती |विशिष्ट लोग बीच में कहीं अवतरित होते , शिष्ट लोगों को अशिष्ट की श्रेणी में रखते और सर्वप्रथम लाभ लेकर चलते बनते हैं |प्रजातंत्र में जनप्रतिनिधि को ही विशिष्ट श्रेणी प्राप्त है |

असल में नेताजी लाइन में हों या नेताजी लाइन से हों ,दोनों में से कुछ भी सुनकर श्रोता को आश्चर्य अवश्य हो जाता है,क्योंकि आजकल के समय में लीक छोड़ तीनों चलें, नेता,सिंह,कपूत |नेता कभी बनी बनाई लीक पर चला है जो अब चलेगा ?पूत के पांव पालने में ही दिखने लगते हैं|ले देकर काम करने कराने की अपनी अनूठी शैली का आविष्कार करता है|ऐसी गुप्त और मौलिक शैली जिसे पूर्व में कभी किसी ने न अपनाया हो?जो व्यक्ति लाइन से चलने वाला हो वह और कुछ भी हो सकता है, नेता नहीं हो सकता |नेता लाइन मार सकता है,लोगों के बीच में लाइन डाल सकता है,दूसरों को लाइन हाजिर कर सकता है,दुनिया भर को लाइन में खड़ा कर सकता है,लाइन खींच कर समूहों को विभाजित कर सकता है,पर स्वयं लाइन में शायद ही कभी मिले? वह कभी भी लाइन से चल नहीं सकता|हमेशा लाइन को तोड़ेगा |और सिर्फ लाइन को ही नहीं लोगों को भी तोड़ेगा|मतदाता को बाहर से तोड़कर अपने पक्ष में करेगा|जो जोड़ तोड़ न कर,अनुशासित रह ले,वह कैसा नेता?इसीलिये तो भोलू को अचरज हुआ था |
कभी आपने रैलियां देखी हैं ?रैलियां सही अर्थों में नेतृत्व हेतु प्रशिक्षण यात्राएं होती हैं |छात्र नेताओं का ही नहीं सारे कर्णधारों का देश हित में त्याग और बलिदान यहीं पर देखा जाता है|रेलवे स्टेशनों पर स्टाल वालों,खोमचेवालों से लूटपाट करने का इससे अच्छा अवसर कभी नहीं मिलता |रैलियों वाले देश को अच्छी तरह लूटने का अनुभव यहीं से प्राप्त करते हैं|भविष्य में जब वे मंत्री बन जायेंगे तो किस पूर्व अनुभव का लाभ उठाएंगे?जितनी प्रभावी और सबल पार्टी,निर्द्वन्द्वता से उतनी अधिक लूट खसोट | नेतागण बस चुनाव से ठीक पूर्व ही ,एक लाइन में दिखाई पडते हैं जहाँ टिकिटों का वितरण हो रहा होता है |वहां भी कुलांचें भरते,कूदते फांदते ,धक्का मुक्की करते हुए ही नजर आते हैं | यह अच्छी बात है कि स्वयं भले ही कभी भी अनुशासित न रहें दूसरों को अनुशासन में रहने का उपदेश तो दे ही सकते हैं|नेता याने विशिष्ट , टिकिट पा जाएँ तो अति विशिष्ट |

हरि जोशी, ३/३२ छत्रसाल नगर फेज -२, जे.के.रोड, भोपाल -४६२-०२२ (मध्यप्रदेश )

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