सरस्वती बृह्मा की मानस पुत्री हैं। सृष्टि की शुरुवात में सबसे पहले बृह्मा ने इन्ही की रचना की थी। ज्ञान व विद्या की देवी हैं यह। कमल पर बैठी यानी कि ज्ञान के शुद्धतम रूप में विराजमान और नीर-क्षीर विवेकी हंस इनका वाहन है। इनके चार हाथों में से दो वीणा पकड़े हुए हैं और दांये हाथ में पुस्तक व बाँये में सुमरनी है जो कि हर तरह की कला, ज्ञान और ध्यान के प्रतीक हैं। पीला रंग आस और उर्जा का प्रतीक है और ज्ञान व विद्या का भी।
लेखनी के नन्हे पाठकों के लिए बसंत-पंचमी पर विशेष,
बसंत पंचमी का दिन था और माँ ने पीले फूलों से श्रृंगार करके सरस्वती देवी को आसन पर बिठा दिया था।
भोग में भी सारी पीली ही चीजें थीं आज । काजू किशमिश और चिरौंजी पड़े पीले मीठे चावल और पीला हलवा व केला। केसर इलायची की उड़ती खुशबू रोहन के मुंह में पानी ला रही थी पर अभी नहीं पूजा के बाद, कहकर माँ ने उसके बढ़े हाथ को तुरंत ही पीछे कर दिया । आज पूरे परिवार ने भी पीले ही वस्त्र पहन रखे थे जबकि सरस्वती जी की साड़ी का रंग सफेद था। अगर इतना ही पसंद है इन्हें यह पीला रंग तो इन्होंने खुद क्यों नहीं पहना- सोचे बिना न रह सका रोहन ….वैसे भी लक्ष्मी , दुर्गा जैसी ही तो मूर्ति है यह भी, क्या फर्क है इनमें और उनमें?
और तब उसके हर प्रश्न का सही-सही उत्तर दिया दादी ने जो अभी तक बड़े मनोयोग से पूजा की थाली तैयार करने में लगी हुई थीं।
जैसे हमारे तीन मुख्य देवता हैं-बृह्मा, विष्णु और महेश वैसे ही तीन आदि देवियाँ भी हैं- सरस्वती , लक्ष्मी और शक्ति, जो इन तीनों देवों की मुख्य सहायिका या पत्नी भी हैं। इन्हें दुर्गा, पार्वती आदि अन्य कई नामों और रूपों में भी जाना जाता है पर मुख्यतः ये सभी एक ही आदि शक्ति के विभिन्न रूप हैं जिनपर समस्त बृह्मांड की उत्पत्ति, देखभाल व संहार की जिम्मेदारी है।
सरस्वती बृह्मा की मानस पुत्री हैं। सृष्टि की शुरुवात में सबसे पहले बृह्मा ने इन्ही की रचना की थी। ज्ञान व विद्या की देवी हैं यह। कमल पर बैठी यानी कि ज्ञान के शुद्धतम रूप में विराजमान और नीर-क्षीर विवेकी हंस इनका वाहन है। इनके चार हाथों में से दो वीणा पकड़े हुए हैं और दांये हाथ में पुस्तक व बाँये में सुमरनी है जो कि हर तरह की कला, ज्ञान और ध्यान के प्रतीक हैं। पीला रंग आस और उर्जा का प्रतीक है और ज्ञान व विद्या का भी। हमेशा हमारे जीवन में ज्ञान और विवेक का संचार रहे इसलिए हम इनका आशीष मांगते हैं , रोहन।
रोहन ने आगे बढ़कर दिये में घी भरने में दादी माँ की मदद की। अब वह सरस्वती देवी के गुण और रहस्य समझ चुका था और पूजा करने को तैयार था , आखिर पढ़-लिखकर बुद्धिमान कौन नहीं बनना चाहता !..
-शैल अग्रवाल
वीणा वादिनी
राग द्वेष हर ले
मुझे वर दे ।
करूँ याचना
दया भाव भर दे
मानवता दे ।
मधुमय हो
पल-पल जीवन
शान्ति वर दे ।
जाति धर्म का
कोई भेद रहे ना
भाव भर दे ।
देश प्रेम ही
लक्ष्य हो जीवन का
ऐसा वर दे ।
हंस वाहिनी
आया शरण तेरी
पद रज दे ।
हर पल मैं
तेरे ही गुण गाऊं
मुझे स्वर दे ।
डॉ अ कीर्तिवर्धन
8265821800
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