हास्य व्यंग्यः भीष्म की प्यासः संजीव निगम/ लेखनी-जुलाई-अगस्त 16

laughing$20buddha

भीष्म की प्यास 

rath

भीष्म पितामह बाणों की शैय्या  पर लेटे थे।  उनके चारों ओर लगे टी वी कैमरे उनके मरने की ब्रेकिंग न्यूज़ दिखाने के लिए उतावले हो रहे थे।  दो दिन से चीख चीख कर खबर देते हुए वे पत्रकार खुद मरने की हालत में पहुंच चुके थे।  पर , भीष्म पितामह थे कि जैसे विवाह न करने की प्रतिज्ञा ली थी वैसे ही अपनी ही मर्ज़ी से मरने की कसम भी खा ली थी।  उनकी इस कसम के आगे यमराज भी ऐसे ही नत मस्तक थे जैसे बाबा रामदेव के आगे कोई मुख्यमंत्री।
कौरव पांडवों के लिए ये एक और मुसीबत आन पड़ी थी।  सारा दिन युद्ध क्षेत्र में लड़ते रहो और शाम को पितामह  के सिरहाने खड़े रहो। पता नहीं बुज़ुर्गवार कब गर्दन लुढ़का  दें।  अगर उनके मरते समय ये लोग मौजूद न हुए तो ज़माना यही कहेगा कि , ‘ देखो इन लोगों ने अकेले को मरने के लिए भी  अकेला ही छोड़ दिया।  ” इनके प्राण छूटें तो अपनी  जान छूटे , के आधार पर सब के सब लोग बड़ी बेसब्री से उनके इस दुनिया से निकलने की राह देख रहे थे।
अचानक भीष्म ने एक फरमाइश रख दी।  कहा , ” मुझे प्यास लगी है , कोई पानी पिलाओ।  ” ये अपने लिए आखिरी घूँट मांग रहे हैं यह सोच कर दुर्योधन ख़ुशी से उछल पड़ा।  लगा , ” बुढ़ऊ से छुटकारे की सुहानी बेला आ गयी।  ” उसने तुरंत अपने नौकरों को गंगाजल लाने का आदेश दिया।
यह सुनते ही भीम गरज कर बोला , ” दुर्योधन , क्या पितामह को असमय ही मारने का इरादा है ? पता नहीं गंगाजल आजकल कितना प्रदूषित है।  इधर गंगाजल  अंदर और उधर पितामह की आत्मा बाहर। अच्छा षड्यंत्र है पितामह से छुट्टी पाने का।   ”
दुर्योधन चिढ़ कर बोला।, ” अरे भोजन भट्ट , अगर ऐसा ही है तो तुम्ही भीष्म पितामह की प्यास बुझाने का प्रबंध करो , आखिर वे तुम्हारे भी तो पितामह हैं। ”
यह सुनते ही भीम दौड़ता हुआ गया और अपनी शक्तिशाली भुजाओं में डिस्टिल्ड वाटर का पूरा 20 लीटर का कंटेनर उठा लाया।  यह देखते ही मामा  शकुनि चिल्लाये , ” भीम क्या तुम भूल गए कि यह डिस्टिल्ड वाटर प्लांट हमारे ही द्वारा लगाया गया है।  वहां पर कंटेनरों में डिस्टिल्ड वाटर की जगह म्युनिसिपेलिटी के नल का पानी भरा जाता है।  और हमारी नगरपालिका के पानी में तो इतने बैक्टीरिया होते हैं कि अगर इस  पानी  को वाटर प्यूरीफायर से फ़िल्टर किये बिना पिला दिया गया तो भीष्म पितामह को दस्त लग जाएंगे।  और तब यहां कौन खड़ा रह सकेगा ,बोलो ? ” यह कहते हुए शकुनि मामा ने रुमाल से मुंह ढँक कर सबको साफ़ जाता दिया कि वहां पर क्या होने की संभावना है।
इस बहसबाजी के बीच भीष्म पितामह की हालत आज की लोकसभा के अध्यक्ष जैसी दयनीय होती जा रही थी।  सत्ता पक्ष और विपक्ष की ‘  तू तू -मैं मैं ‘ में उनके प्यासा ही मरने की परिस्थिति बनती जा रही थी।
इस कठिन प्यासे समय में उन्होंने अपने प्रिय पोते अर्जुन की तरफ देखा।  उनके अपनी तरफ देखते ही , अभी तक पृष्ठभूमि में खड़े अर्जुन की बांछे खिल गयीं।  बाणों की शैय्या बनाने बाद ,  नेशनल चैनलों पर दिखने का दूसरा  अवसर मिलने की उत्सुकता  मन में जगी वरना रोज़ तो वरिष्ठ होने का लाभ उठाते हुए  युधिष्ठिर ही न्यूज़ चैनलों को ‘ बाइट्स ‘ दिए जा रहे थे। अपने आपको लाइम लाइट में रखने के चक्कर में वे दूसरों को कैमरों के सामने फटकने भी नहीं देते थे।
अर्जुन ने तुरंत टीवी कैमरों के सामने आकर घोषणा की , ” भीष्म पितामह को मैं शुद्ध अंडर ग्राउंड वाटर पिलाऊँगा।  ” ये कहते ही उसने अपने अपने धनुष पर बाण चढ़ाया और तिरछी निगाह से चेक किया कि सभी टीवी कैमरों का फोकस उस पर ही है।  जैसे ही अर्जुन ने बाण ज़मीन पर मारा , भीष्म पितामह की जगह उस ज़मीन के ही प्राण पखेरू उड़ गए।  ज़मीन पूरी तरह से अंदर धंस गयी।  गनीमत यह रही कि भीष्म पितामह जिस शैय्या पर लेटे थे , वह स्थान समुद्र में उभरे किसी टापू की तरह से अपनी जगह टिका रह गया।  बाण सीधे जाकर वाटर सप्लाई पाइप में लगा और वहीँ धंस कर रह गया।  अब कौरवों पांडवों में इस बात को लेकर ‘ तू तू मैं मैं ‘ होने लगी कि कुरुक्षेत्र में रण भूमि तैयार करवाने का ठेका किसने किसको दिया था ? दोनों एक दूसरे पर ठेकों में कमीशन खाने का आरोप लगा रहे थे और बेचारे भीष्म पितामह प्यास से मरे जा रहे थे।  उन्हें पक्का यकीन हो गया था कि इन एक दूसरे के खून के प्यासों की प्यास भले ही बुझ जाए पर मेरी प्यास नहीं बुझने वाली।
उन्होंने अपने प्राण त्यागने की इच्छा से आँखें बंद कीं और हाथ जोड़ लिए।  तभी एक चमत्कार हुआ पानी की पाइप लाइन में अटका तीर एक झटके  के साथ हवा में उछाल गया और पानी की एक मोटी धार उस छेद  में से निकल कर सीधे भीष्म पितामह के मुंह पर गिरी।  भीष्म पितामह तृप्ति के साथ उस पानी को पीने लगे और अर्जुन लपक कर टीवी चैनल वालों को इंटरव्यू देने लगे।
अर्जुन को मिली इस पब्लिसिटी से झल्लाए दुर्योधन ने इस तरह से अचानक पानी निकलने का राज़ पता लगाने के लिए जिस आयोग का  किया , उसने छह महीने की गहन छान बीन के बाद इस रहस्य पर से पर्दा उठाया कि दरअसल उसी वक़्त जल विभाग वालों ने शाम के पानी की सप्लाई शुरू की थी जिसके प्रेशर से बाण उछल गया था और उससे बने छेद  से पानी की धार निकल पड़ी थी।  पर चूँकि तब तक हस्तिनापुर की सत्ता पांडवों के हाथ आ गयी थी इसलिए इस रिपोर्ट को ” अति गोपनीय ” कह कर सरकारी तहखाने में दबा दिया गया।
——————–

1 Comment on हास्य व्यंग्यः भीष्म की प्यासः संजीव निगम/ लेखनी-जुलाई-अगस्त 16

  1. बहुत समकालीन व्यंग, पुराने सन्दर्भ में आज की सटीक विवेचना। बधाई संजीव जी, बधाई शैल जी।

Leave a Reply

Your email address will not be published.


*


This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.

error: Content is protected !!