व्यक्तित्वः सांस्कृतिक धरोहर की परिवाहक: कथक गुरु सुश्री काजल शर्मा (इंग्लैंड)- शील निगम

भारत के आठ शास्त्रीय नृत्यों में से सबसे पुराना कथक नृत्य है, जिसकी उत्पत्ति उत्तर भारत में हुई।कथक एक संस्कृत शब्द है जिसका अर्थ ‘कहानी से व्युत्पन्न करना’ है।

कथक नृत्य अनुभूति है, अराधना है, साधना है। तबला और पखावज इस नृत्य के पूरक होते हैं। कठिन परिश्रम और सतत अभ्यास से पूर्णता को प्राप्त किया जाता है। विश्व-पटल पर भारत खासकर अपनी पुरातन कला तथा संस्कृति के लिए जाना-पहचाना जाता है। हमारे नृत्य, नाट्य, संगीत,कलाएँ,परंपराएँ, हमारे देश की अनमोल धरोहर हैं। इस धरोहर को भारत से संजो कर इंग्लैंड ले गयीं कथक गुरु काजल शर्मा जी।जो इंग्लैंड में रह कर विदेशों में न केवल कथक सिखा कर प्रचार-प्रसार करती हैं अपितु विभिन्न स्थानों में कार्यक्रम आयोजित करने के साथ साथ कार्यशाला भी लेती हैं जिनमें भारत के ही नहीं विदेशी छात्रों को भी कथक सीखने का अवसर मिलता है।

कथक नृत्य करते समय सुश्री काजल शर्मा जी नृत्य में इतनी खो जाती हैं कि ऐसा लगता है मानो नृत्य उनके हृदय की धड़कनों में बसा है।आज वे उन्नति के सर्वोच्च शिखर पर हैं पर बहुत सी चुनौतियों को पार करते हुए उन्होंने कथक के क्षेत्र में उपलब्धियाँ हासिल कीं।

सुश्री काजल शर्मा जी ने मात्र तीन वर्ष की आयु से ही नृत्य करना आरंभ कर दिया था। तीन वर्ष की आयु में उन्होंने ‘दुष्यंत-शकुंतला’ की एक नृत्य-नाटिका में बाल कलाकार के रूप में ‘भरत’ का चरित्र निभाया था। यह बड़े सौभाग्य की बात रही कि कथक सम्राट पंडित लच्छू महाराज ने मंच पर उन्हें देखा और कथक नृत्य का पहला पाठ स्वयं उन्होंने काजल जी को सिखाया.

महान गुरुओं के सानिध्य में रह कर सुश्री काजल शर्मा जी ने कथक की विधिवत पूरी शिक्षा ली। प्रयाग संगीत समीति से कथक नृत्य की छह-छह वर्ष की डिग्रियाँ, ‘विशारद’ और ‘प्रभाकर’ लीं।नृत्य के साथ-साथ उन्होंने श्री गोपाल लक्ष्मण गुने जी संगीत की भी विधिवत शिक्षा प्राप्त की। संगीत नाटक अकादमी से उन्हें ‘नेशनल स्कौलरशिप’ भी मिला।आज देश-विदेश में कथक नृत्य का प्रचार-प्रसार कर रही हैं।

काजल शर्मा जी आगरा के एक ऐसे परिवार में पैदा हुई थी जहाँ नृत्य को लड़कियों के लिए एक उपयुक्त नहीं माना जाता था, लेकिन काजल ने मुख से बोलने से पहले ही नृत्य करना शुरू कर दिया, तीन साल की उम्र में, ही अपनी बड़ी बहन के स्कूल में अपना पहला प्रदर्शन किया। पाँच साल की उम्र तक आते-आते बेबी काजल ने आगरा और आसपास के इलाकों में एक बाल कलाकार के रूप में लोकप्रियता हासिल कर ली।बेबी काजल को बड़ी संख्या के दर्शकों के सामने प्रदर्शन के लिए आमंत्रित किया जाता था जिनमें अक्सर राजनेता और फिल्म स्टार भी शामिल होते थे।

काजल की पसंदीदा धुन फिल्म ‘दो रास्ते’ बॉलीवुड के लोकप्रिय गीत ‘बिंदिया चमकेगी’ थी। उन्होंने 300 से अधिक बार मंच पर गीत के साथ नृत्य का प्रदर्शन किया, जिसमें दर्शकों में इस फिल्म के निर्देशक भी शामिल थे। उन्होंने पाँच साल की काजल से कहा “अगर मैंने फिल्म बनाने से पहले आपको डांस करते हुए देखा होता, तो आपको मुमताज की जगह फिल्म में चुनता।” यह काजल के लिए बहुत ही उत्साहजनक टिप्पणी थी।

सात साल की उम्र में, एक स्थानीय कथक शिक्षक श्री बाबू लाल जी से मिलने का मौका काजल के जीवन में एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हुआ। उनके मार्गदर्शन में उन्होंने कथक में अपना प्रशिक्षण शुरू किया और एक महीने के प्रशिक्षण में ही उन्होंने कथक प्रतियोगिता में प्रथम पुरस्कार जीता। अब नन्हीं काजल के उत्साह और उल्लास को उसके पिता श्री कीर्ति कुमार शर्मा जी का उसके नृत्य के प्रति समर्थन मिलने लगा।माता श्रीमती शोभा शर्मा जी तो शुरू से ही उनकी प्रेरणास्रोत रही थीं। एक तरफ कथक की विधिवत शिक्षा चल रही थी दूसरी ओर स्कूल-कालेज की पढ़ाई। बीच-बीच में कथक के कार्यक्रम भी आयोजित होते रहे बिरजू महाराज के सानिध्य में।समय पंख लगा कर उड़ता गया और सुश्री काजल शर्मा की नियुक्ति आगरा विश्वविद्यालय के प्रदर्शन कला के व्याख्याता के पद पर हो गयी। कुछ वर्ष कथक गुरु की भूमिका निभाने के बाद वे विवाह बंधन में बंध गईं और भारत की सांस्कृतिक गरिमा और कथक की विरासत लिए हुए वे अपने पति के साथ विदेश चली गईं।

1993 में यू.के. जाने से पहले 1992 में लखनऊ में उत्तर प्रदेश संगीत नाटक अकादमी की सबसे कम उम्र की कमेटी मेंबर थीं। इसके अतिरिक्त उनका दिल्ली दूरदर्शन से भी बहुत महत्वपूर्ण जुड़ाव रहा। उन्हें दिल्ली टेलीविजन से ‘Top grade’ से सम्मानित किया गया था। हाल ही में उनके कथक नृत्य को दिल्ली टेलीविजन अभिलेखागार द्वारा बनाई और जारी की गई एक कथक डीवीडी में शामिल किया गया है। उन्हें एक फिल्म में भी दिखाया गया था, जिसका नाम है ‘Wish you were here’ जो चैस्टर रेस कोर्स में ‘ओलंपिक मशाल इवेंट’ के दौरान लगभग पच्चीस हजार दर्शकों के लिए प्रदर्शित की गई।

कथक गुरु काजल शर्मा एक कलाकार, कोरियोग्राफर और एक शिक्षिका हैं, जो वर्तमान में कथक सिखा रही हैं, मैनचेस्टर, चेस्टर में भारतीय संस्कृति और शिक्षा अकादमी में शिक्षा प्रदान करती हैं, और स्कूल और कॉलेजों में भारतीय नृत्य कार्यशालाओं का आयोजन भी करती हैं। उन्होंने भारतीय संस्कृति और कथक नृत्य के सच्चे प्रवर्तक के रूप में एक प्रमुख भूमिका निभाई है।

कथक गुरु काजल शर्मा ISTD परीक्षा बोर्ड की सदस्य हैं। 2006 में जब उनके शिष्य अपनी पहली ISTD कथक नृत्य परीक्षा दे रहे थे, तो बी. बी. सी. वेल्स ने उस पर एक फीचर फिल्म बनाई और उसे टेलिविज़न पर दिखाया।तब से लेकर आज तक उनके शिष्य इन परीक्षाओं में सफलतापूर्वक भाग लेते चले आ रहे हैं।इन परीक्षाओं के नाम हैं- Grades, Intermediate & Advance Examination in Kathak.

विदेश में कथक नृत्य की शिक्षा देने का सफर इतना आसान नहीं था। सबसे बड़ी चुनौती थी पारिवारिक जीवन को समांतर रूप से सुचारू रखने के साथ-साथ राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कथक के लिए व्यावाहरिक कार्य करना। हालांकि पति और बच्चों से पूरा सहयोग मिला।

दूसरी बात यह है कि काजल शर्मा जी पहली कथक गुरु थीं जिन्होंने मैनचेस्टर की VOICE संस्था में 2004 में कथक नृत्य सीखने की प्रेरणा दी।शुरू में लोगों ने अच्छी प्रतिक्रिया नहीं दी क्योंकि वे कथक को मुगल दरबार का नाच मानते थे। उन्हें समझाने में बहुत प्रयास लगे तब जाकर अपने बच्चों को कथक नृत्य की कक्षा में भेजना शुरू किया।

इसके अलावा विदेशी संस्कृति के प्रभाव के कारण वहाँ बच्चे कथक को गंभीरता से नहीं ले पाते।बौलीवुड से ज्यादा प्रभावित होते हैं।अपनी पढ़ाई तथा अन्य क्रिया-कलापों के चलते रियाज़ नहीं कर सकते।भाषा की समस्या भी आड़े आती है। विशेष रूप से कथक की लिखित परीक्षा में।

फिर भी यह कहना अतिश्योक्ति नहीं होगी कि अनेक चुनौतियों का मुकाबला करते हुए, अपने दोनों गुरुओं के सानिध्य में सुश्री काजल शर्मा जी ने कथक नृत्य की जो ज्योति जलाई थी वह मशाल बन कर विश्व के ३२ देशों में प्रकाशित कर रही हैं।कथक गुरु काजल शर्मा जी के दर्शकों में 46 राष्ट्रपति और विभिन्न देशों के प्रधान मंत्री, एच.आर.एच द प्रिंस ऑफ वेल्स और थाईलैंड की रानी भी शामिल हैं।

उनके नृत्य को सभी ने सराहा है। मैनचेस्टर में कथक ठुमरी की धूम मचा चुकी काजल शर्मा जी ने बहुत से स्थानों पर एकल और अपने शिष्यों के साथ सामूहिक नृत्य प्रस्तुत किए हैं। आगरा के ताज महोत्सव में प्रस्तुति बहुत ही शानदार थी। उनकी नृत्य प्रस्तुतिकरण को देख कर विभिन्न तरह के विचार उनके संबंध में कहे गए हैं। जिनमें से कुछ उदाहरण हैं-

Quotes:

“Kajal and Kathak are one” Hitvada Mumbai

“Kajal Sharma, a protege of Birju Maharaj” The Link, New Delhi

“Miniature of Indian Culture, Kajal has the essence of beauty with intense talent” Sophia News Bulgaria

“A tasteful dance of Lucknow Gharana” “Spontaneous fluid movements with dexterity in Tal – superb performance” Times of India

कथक से संबंधित उनकी उपलब्धियाँ इस प्रकार हैं-

Recognitions & Awards-

* State Award by the UP Sangeet Natak Academy Lucknow.
* Kalashree Award
* International Young Achiever Award
* National award by Indian Jaycees.
* CSRIJAN’ by WMT for global promotion of Kathak.
* Appointed as Judge in finals of BBC Young Dancers (U.K.)-2017 on BBC.
* Asian Diaspora Achievers Award in Manchester.
* Outstanding Women Achiever Award in Manchester.
*Cheshire Award in Chester, England.
* International Examiner for ISTD, the examination board in London.

काजल शर्मा जी के विषय में लिखना सूर्य को दीपक दिखाने के समान है। उनकी उपलब्धियों को एक सूत्र में बाँधना कठिन है।

पंडित बिरजू महाराज जी ने उनके विषय में अपने विचार इस तरह व्यक्त किए हैं-
‘Kajal always kept her standard maintained and is a very capable performer and teacher. I am happy that she has preserved her art in true form, through her presentations and training.’

शील निगम
मुम्बई

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