दो लघुकथाएँ: अगम अग्रवाल

अमृत…

laghukatha logoमाँ के हाथों से बनी और स्कूल के लंच बॉक्स से वापस आई रोटी
को सड़क पर फेंका तो गली के आवारा कुत्ते पागलों की तरह आपस में लड़ते
हुये रोटी पर टूट पड़े और उसके टुकड़े टुकड़े कर दिए . वहीँ पास से
गुजरता हुए एक मासूम अनाथ बच्चे ने उन रोटी के टुकड़ों को समेटा और अमृत
समझ कर खा गया … शायद कल से भूखा था…

 

 

 

 

भविष्य…

laghukatha logo“यह सामने मुर्गी का बच्चा है…इसकी गर्दन  सर से अलग
करनी है … यदि तुम ऐसा कर गए  तो हम  तुम्हे अपने क्रांति दल मैं शामिल
कर लेंगे ” सरदार ने बड़े दबंग तरीके से उस युवा से  कहा . उस युवा ने
जोश के साथ आगे कदम बढाए. आँखों  मैं चमक थी ,सहसा उसने उस बच्चे की
आँखों मैं दया की भीख देखी .. कुछ देर के लिए वो थम गया .. अचानक वो
झटके से उठा और एक झटके मैं चूजी  की गर्दन अलग कर दी… अब उसकी आँखों
मैं अब वेह्शिपन नज़र आ रहा था उसके हाथ कुछ और चूजों  को बर्बाद करने के
लिए मचल गए … सरदार ने उसकी पीठ थपथपा कर अपने दल मैं शामिल कर लिया
… वहीँ दूर खड़ा एक बुजुर्ग यह सब देख कर  सोच रहा था की यदि ऐसे ही
हमने अपने  चूजों को    आज के युवाओं को थमा दिया  तो हमारे देश के
भविष्य  मैं मासूम खिलखिलाते चूजे देखने को नहीं मिल पाएंगे

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