जब भी सच्ची बानी लिखना,
भर कर आँख में पानी लिखना.
नफ़रत दूर तलक मिलती है
मुश्क़िल प्यार की बानी लिखना.
कैसा आज लगा प्रिय तुमको
दुःख को जीवन दानी लिखना.
माना वक़्त नया है लेकिन
कोई कथा पुरानी लिखना.
मेरे गीत ग़ज़ल से लोगो
अपनी कोई कहानी लिखना.
जिसने प्यार दिया दुनिया को
उसको सच्चा ज्ञानी लिखना.
अबके बार ‘उषा’ तुम ख़त में
देश-प्रेम के मानी लिखना
समंदर में उतरना आ गया है,
मुझे लहरों पे चलना आ गया है.
मेरा ये हौसला देखो ए लोगो
समय को रुख़ बदलना आ गया है
ख़िज़ाए रास्ता देती हैं मुझको
मुझे काँटों पे चलना आ गया है
मोहब्बत का जिसे कहते हैं साँचा
उसी साँचे में ढलना आ गया है.
ग़मों की रात आती है तो आए
मुझे दिन- सा निकलना आ गया है.
हर इक मँज़िल मिली बाँहें पसारे
मुझे गिर कर संभलना आ गया है
तुम्हारे प्यार के मंदिर में आख़िर
मुझे दीपक सा जलना आ गया है.
‘उषा’ वो प्यार की मूरत बनेगा
जिसे थोड़ा पिघलना आ गया है.
उषा राजे सक्सेना, लंदन।
बहुत सुन्दर! सरल भाषा में इतनी गहराई!
marmsparshi ,bahut badhiyan .