लेखनी/LEKHNI -सितंबर-अक्तूबर 23

सोच और संस्कारों की सांझी धरोहर
Bridging The Gap


‘धरती से चांद तक
अनूठी यह पहचान तुम्हारी
कितना बखान करूँ मैं अब
कहाँ से शुरु और कहाँ तक
पुनः पुनः नमन है मेरे देश
पुनः पुनः नमन।’
शैल अग्रवाल

(अंक 150 , वर्ष 17 )

अपनी बातः धरती से चांद तक…
इस अंक मेंः जलाभिषेक-शैल अग्रवाल। कविता धरोहरः गजानन माधव मुक्तिबोध। भक्ति काल के सूर्यः सूरदास। कविताः आज और अभीः पुनः-शैल अग्रवाल, पद्मा मिश्रा, विजय सिंह नहाटा, उषा किरण शुक्ला, मनीष श्रीवास्तव, सुनील चौरसिया सावन, किस्मत चौरसिया स्नेहा । गीत और ग़ज़लः अमित मिश्रा मौन’। वेखनी संकलनः हिन्दी हम सबकी परिभाषा।

गद्य में- मंथनः जड़ों की ओर- शैल अग्नवाल। परिचर्चाः बात हिन्दी की-शिवेन कृष्ण रैना। कहानी धरोहरः मुग़लों ने सल्तनत बख्श दी-भगवती चरण वर्मा । कहानी समकालीनः प्रशस्ति पत्र-आरती लोकेश गोयल। कहानी समकालीनः सुबह होने तक-शैल अग्रवाल। कहानी समकालीनः अपशगुन-उषा किरण शुक्ला। दो लघुकथाएँ- मोलभाव, परवरिश- शैल अग्रवाल। सोच-विचारः आज भी तुलसीदास एक पहेली हैं-प्रेम कुमार मणि। व्यक्तित्वः कैलाश चन्द्र पंत-गोवर्धन यादव। रागरंगः कान्हा-शैल अग्रवाल। समीक्षाः तुम क्यो उदास हो-संदीप तोमर। पर्यटनः अमृतसर-शैल अग्रवाल। चांद परियाँ और तितलीः चंदा मामा दूर के-शैल अग्रवाल।

In the English Section: My Column:Way Forvard. Favourite Forever: William Wordsworth. Poetry Here & Now: Tanya Bolton. Remembering:Idelka -Devi Nagrani. Kids’Corner: Story One & All, Poem: Birdie on a window sill-Shail Agrawal.

:परिकल्पना, संपादन व संचालनः शैल अग्रवाल
संपर्क सूत्रः shailagrawal@hotmail.com
सर्वाधिकार सुरक्षित।

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