ज़रा ज़रा सी बात पर , रिश्तों को मत तोड़
सात अरब की भीड़ में, सात लोग तो जोड़
जो भी रख इस हाथ पर , रख इज़्ज़त के साथ
वर्ना लौटा दे ख़ुदा , मुझको ख़ाली हाथ
एक कहो कैसे हुई , मेरी-उसकी बात
मैंने सब अर्जित किया, उसे मिली ख़ैरात
घुटनों पर जो हैं अभी , तुतले जिनके बोल
ये बच्चे ही देखना , बदलेंगे भूगोल
यूँ ही नहीं दधीचि का , गाती दुनिया गान
अस्थि अस्थि मिट भर गया , वो क़ुदरत में जान
ललचाए नीला कमल , मीलों गहरी कीच
एक तरफ़ है स्वर्ण मृग , एक तरफ़ मारीच
मैला ढोने की प्रथा , कहाँ हुई है बंद
नदियों के सिर कर दिया, हमने अपना गंद
जैसा जिसका काम है, वैसा होता नाम
क्या गाँधी क्या गोडसे, क्या रावण क्या राम
एक ब्रह्म से ही बना , सबका अगर वज़ूद
सच कबीर का पूछना, फिर क्यों बामन-सूद
सदियों तक हमने जपा, आज़ादी का मंत्र
तब जा कर हासिल किया, हमने यह गणतंत्र
कोई औरों से लड़े , कोई अपने संग
अपने अपने मोरचे, अपनी अपनी जंग
चुका नहीं हूँ मैं अभी, तुम्हें हुई है चूक
पतझर पतझर रच रहा, मैं वसंत की कूक
ख़्वाब न हों तो ज़िन्दगी, चलती फिरती लाश
पंख लगा कर ये हमें, देते हैं आकाश
बार बार कायर मरे, वीर मरे इक बार
मरने से पहले मरे , तो जीना धिक्कार
महलों पर बारिश हुई, भीगे सुर-लय-साज
छप्पर मगर ग़रीब का , झेले रह रह गाज
महँगाई से जंग थी , बैठा हूँ थक-हार
आख़िर कबतक भाँजता, लकड़ी की तलवार
कहना है जो कह मगर , कला कहन की जान
एक महाभारत रचे , फिसली हुई ज़ुबान
कबिरा की क़िस्मत भली , कविता की तक़दीर
कबिरा कवितामय हुआ , कविता हुई कबीर
रोज़ रोज़ के रतजगे , दिनभर भागमभाग
फिर भी हँस हँस गा रहा , मैं जीवन का राग
जुगनू बोला चाँद से , उलझ न यूँ बेक़ार ।
मैंने अपनी रौशनी , पाई नहीं उधार ।।
केवल वो ही कोयला , जिसके जिगर जुनून
सदियों तप कर पाय है , इक हीरे की जून
वो निखरा जिसने सहा , पत्थर पानी घाम।
वन वन अगर न छानते , राम न बनते राम।
शबरी जैसी आस रख , शबरी जैसी प्यास।
चलकर आएगा कुआँ , खुद ही तेरे पास।।
नरेश शांडिल्यः साहित्यिक परिचय
कवि-दोहाकार-रंगकर्मी-संपादक-समीक्षक
6 कविता संग्रह प्रकाशित।
3 पुस्तकों का सम्पादन।
दिल्ली के प्रतिष्ठित लालकिला कवि सम्मेलन , श्रीराम कविसम्मेलन आदि में काव्यपाठ। इसके अतिरिक्त भारत के लगभग सभी प्रमुख शहरों में काव्यपाठ।
आकाशवाणी और दूरदर्शन के अनेक चैनलों पर काव्यपाठ। बी बी सी और कई विदेशी रेडियो चैनलों पर काव्यपाठ।
इंग्लैंड के सभी प्रमुख शहरों में सन् 2000 और सन् 2005 में काव्यपाठ। जोहान्सबर्ग ( साउथ अफ्रीका ) के 9वें विश्व हिन्दी सम्मेलन में काव्यपाठ। भोपाल में हुए 10वें विश्व हिन्दी सम्मेलन में भागीदारी। 10 जनवरी 2017 विश्व हिंदी दिवस पर बैंकॉक ( थाईलैंड ) में मुख्य अतिथि के नाते भागीदारी।
नुक्कड़ नाटकों में अभिनय और गीत लेखन। नुक्कड़ नाटकों में भारत सरकार से फेलोशिप।
सदस्य : हिन्दी सलाहकार समिति , कृषि मंत्रालय , भारत सरकार।
सलाहकार सदस्य : केंद्रीय फ़िल्म प्रमाणन बोर्ड , सूचना व प्रसारण मंत्रालय, भारत सरकार।
संपर्क : सत्य सदन , ए 5 , मनसा राम पार्क, संडे बाज़ार लेन, उत्तम नगर, नई दिल्ली 110059
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