चांद परियाँ और तितलीः बाल कविता-प्रभु दयाल श्रीवास्तव, शैल अग्रवाल


बिल्लीजी नाराज हैं
एक कटोरा
भरा दूध का ,
बिल्ली अभी
छोड़कर आई |
बोली उसको
नहीं पियूंगी,
उसमें बिलकुल
नहीं मलाई |
कल का दूध
बहुत फीका था ,
शक्कर बिलकुल
नहीं पड़ी थी |
घर की मुखिया
दादी मां से,
इस कारण वह
खूब लड़ी थी |
दूध ,मलाई
वाला होगा ,
खूब पड़ी होगी
जब शक्कर|
और मनाएंगी
जब दादी,
दूध पियूंगी तब
उनके घर |
प्रभुदयाल श्रीवास्तव १२ शिवम् सुंदरम नगर छिंदवाड़ा म प्र ४८०००१
मो न 09713355846

कितना अच्छा होता…
कितना अच्छा होता अगर
ये पंडित मुल्ला और पादरी
धर्म का बस बिगुल ही न बजाते

उठते और दुर्बल की मदद कर आते
काशी मथुरा मक्का-मदीना न जाकर
गरीबों की कुटिया को तीर्थ बनाते

भूखों को नित भोज कराते
और दुआ आशीष से इनकी
छककर रोज पुण्य कमाते

असहायों संग हर सुख दुख
लोक-परलोक व स्वर्ग-नर्क
जी भरकर यहीं पर जी जाते
और दूसरों को भी
नफरत से दूर, प्यार भरा
जीने का एक मौका दे जाते
-शैल अग्रवाल

संपर्कः shailagrawal@hotmail.com

error: Content is protected !!