माह विशेषः कविता अनुवादः युट्टा औस्टिन


युद्ध का गीत

युद्ध है ! युद्ध है! भगवान के देव-दूत तुम विरोध करो
और उसे बन्द कर दे
हतभाग्य यह, अब युद्ध है तो
निर्दोषी होना चाह रहा हूँ मैं

मैं क्या करू जो नींद में भारी हुए
और खूनी, पीले, जरद
शवों के भूत-प्रेत मेरे पास आ जाएँ
और रो उठें, मैं कैसे सहू इतना दर्द?
जब साहसी आदमी जो सम्मान के हित ही लड़े थे
लंगड़े-लूले और लगभग मरे हुए
अपनी मृत्यु की ड्योढी से सामने की धूल में
लुढककर मुझे अपना साथ दें

जब सहस्त्रों लोग, सब माँ या बाप या दुल्हन
जो सुखी थे जब तक युद्ध था नहीं
अब दुःखी सब, बेचारे जन
मुझ पर विलाप करते यहीं?

जब भूख, बीमारी तथा उनकी व्यथाएँ
एकत्रित करतीं कब्र में भाई दोस्त और शत्रु
और किसी जन की लाश पर बैठे हुए
मेरे सम्मान की घोषणा करते तो मैं क्या करु ?

तब ताज और राज किस काम का हो ?
सुख कैसे दे सकते ?
हतभाग्य यह, अब युद्ध है तो
निर्दोषी होना चाह रहा हूँ मैं।

मटीअस क्लौडिअस
(1740-1815)
जर्मन से अनुवाद युट्टा ओस्टिन


वही बहार आ गई है

सच है।
आ गई है बहार
खिड़कियाँ विस्मित हैं।
पेड़ लेते हैं अंगड़ाई
अब किस और बात की है बड़ाई
जब पंख की तरह हलकी है हवा

मकान के आगे घर के मालिक खड़े हैं
दिखाते हैं अपना घमंड
अब चली जा रही है ठंड
लोग अपने छोटे बच्चों को घुमा रहे हैं

शरमीली होने लगती हैं कुमारियाँ
मीठी मलाई जैसे बहता है नसों में काम
आकाश में नाचते हुए झलमलाते हैं विमान
और लोग न जानते हुए भी जानते हैं अपनी खुशियाँ

अच्छी बात
लोग फिर से सैर करते हैं
उड़ गए थे लाल नीले हरे रंग,
पर अब बहार
फिर रंजित करती है सारा संसार
एक दूसरे को समझने तक लोग मुस्कराते हैं

पग-डंडियों पर मन घूमते हैं शहर में
सदरी पहने बिना आदमी छत पर दिखाई देते हैं
अपने गमलों में ताजे बीज डाल लेते हैं
धन्य हैं वे, जिनके पास हों कुछ गमले

बाग की नंगाई है दिखावट ही इस बार
गरम करके सूर्य बदला ले रहा है हेमंत से
हर साल होता है यह वसंत में
पर लगती है हमेशा जैसे पहली बार
एरिख कैस्टनर ( जर्मन)


अनुवाद युट्टा औस्टिन
कैम्ब्रिज, यू.के.

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