तैरती हुई लड़कियां
पानी की बहती तेज धार में
नाचती हुईं
छपाक – छपाक
खेल रही है लड़कियां
जो तैरती हुई चली जाती
पोरसा भर पानी में
और पल भर में लौट आती
कगार की ओर
उनका तैरना
पंछियों के उड़ने से कम नहीं लगता
वे तैर रही हैं
रोहिल्ला मछलियों की तरह
लड़कियां डूबना नहीं चाहती
जीना चाहती हैं
दूबों की तरह अंखुवाते
सपनों के लिए
पानी में गोता लगाती
मनचली लड़कियों को देखते ही
सहसा याद आ जाती
मन में दुबकी पड़ी
नानी के कहानियों की जलपरियां
जिसे खोजने चुपके से चला आता राजकुंवर
जहां इनकी छुपा – छुपी देखता था वह
हवा के तिनके – सा बहते ये दिन
इन गदराई लड़कियों के
सबसे सुनहरे पल हैं
जब वे कर रही होती हैं
तैराकी की दौड़ !
बाजारवादी कोबरा
ऊंचे टीले पर
कुंडली मार कर बैठा है बाजारवादी कोबरा
मुंह से जहर उगलता हुआ
अजीब ठंस रहा है कमबख्त
कितना ढीठ है वह
दमितों को
चुभता है रह – रह कर
नागफनी – सा कटीले विष – दंत
गंदा कर दिया है ताजी हवा
हिढ़ोल डाला है नदियों के निर्मल जल
उखाड़ रहा है हरियाली बिखेरते पेड़
जब कभी वह डुलाता है अपना सिर
झटका खा जाती यह धरती
उसके खांसते ही
फूट पड़ते हैं असंख्य ज्वालामुखी
चल रहे हैं अभी उसके जवान होने
फुफकारने के
हड़पने के जल – जीवन के सारे स्रोत
हमारे दुबकने का नहीं
बल्कि, इजाद करने का समय है यह
मौजूदा दौर में उसे बांधने वाला नाग फांस ।
पीड़ाओं के दीप
दीपावली के बाद मुंह अँधेरे में
हंसिया से सूप पिटते हुए लोग बोलते हैं बोल
‘इसर पईसे दलिदर भागे , घर में लछिमी बास करे’
और फेंक देते हैं उसे जलते ढेर में
हर साल भगाया जाता है दरिद्र को
चुपके से लौट आता है वह
हमारे सपनों , हमारी उम्मीदों को कुचलता हुआ
कद्दू के सूखे तुमड़ी में माँ
घी के दिए जलाकर छोड़ती है नदी में
जिसमें मैं बहा आता था कागज़ की नाव
झिलमिल धार में बहती हुई जाती थी किसी
दूसरे लोक में
कितनी दीपावलियाँ आईं जीवन में
जलते रहे दीप फिर भी अंतस में पीड़ाओं के।
पहली बार
पेड़ों में आते हैं नन्हें टूसे
खलिहान से आती है नवान्न की गंध
तुम आती हो ख्यालों में लीची की
मधुर आभास लिए
वैजंत्री फूलों – सी आंचल लहराती
मसूर की पत्तियों की तरह धीमी डोलती हुई
जैसे ताउम्र में झुर झुर आकर
पहली बार आई हो बसंती हवा !
लक्ष्मीकांत मुकुल
जन्म – 08 जनवरी 1973
शिक्षा – विधि स्नातक
संप्रति – स्वतंत्र लेखन / सामाजिक कार्य / किसान कवि/मौन प्रतिरोध का कवि।
कवितायें एवं आलेख विभिन्न पत्र – पत्रिकाओं में प्रकाशित । पुष्पांजलि प्रकाशन , दिल्ली से कविता संकलन “लाल चोंच वाले पंछी” प्रकाशित।
पत्राचार संपर्क :-
ग्राम – मैरा, पोस्ट – सैसड़ ,
भाया – धनसोई ,
बक्सर,
(बिहार) – 802117
ईमेल – kvimukul12111@gmail.com
मोबाइल नंबर-6202077236
रोहतास जिला,बिहार के मैरा गांव में निवास।