चांद परियाँ और तितलीः एक कहानी-शैल अग्रवाल

एक कहानी

माँ कह एक कहानी
राजा था या रानी
अजगर जहाँ आग उगलते
साँपों के मुंह फूल निकलते
पक्षी भर लाते पानी
हाँ, कह माँ वही कहानी

परियाँ तितली बगिया ना डोलें
अजगर सहमा छुप छुप के सोए
आदमी ही यहाँ अब आग उगलते
प्यासा भी ना पाए पानी ।

प्यासा भी ना पाए पानी?
हाँ, प्यासा भी ना पाए पानी!

शब्दों के ऊँचे पहाण से
अर्थ उडा ले गई पुरवाई
अब राजा रहे ना ही वो रानी
मुन्ने मेरे, बदली नई कहानी।

बदली है नई कहानी?
हाँ, बदली नई कहानी !
माँ, कह तू एक कहानी !
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एक कहानी

टूटू बहुत परेशान है। रातभर सो नहीं पाया। रात में किटी जब लौटी थी तो पूरे पंजों में मिट्टी भरी हुई थी। इसरे पहले कि मम्मी नाराज हों और किट्टी को उठाकर बाहर बगीचे में फेंक दें, उसने हॉल और सीढ़ी से सारे निशान पोंछ डाले। फिर किटी को नहला-धुलाकर, अच्छी तरह से तौलिया से पोंछा और गरम दूध पिलाकर ही उसकी टोकरी में वापस सुलाया। एक अतिरिक्त कम्बल भी लगा दिया ताकि किट्टी को ठंड न लगे। फिर भी किट्टी अब लगातार छींके जा रही थी और आजकल छींकों से सभी को कितना डर लगता है, टूटू भलीभांति जानता था। तो क्या बिल्लियों को भी कोरोना हो सकता है? टूटू वाकई में परेशान था अब। तो क्या किटी को भी आन्टी जेनिफर की तरह क्वारेंनटीन में अकेले-अकेले ही रहना पड़ेगा पंद्रह दिन के लिए। पर किटी कैसे कर पाएगी यह सब, उसे तो कुछ भी नहीं आता- न खाना मांगना, ना ही ठीक से अपना ध्यान ही रखना! नहीं वह किटी को बीमार नहीं पड़ने देगा। कल ही तो उसने अपनी किताब में पढ़ा था कि बीमारी होने से पहले ही रोकथाम इलाज से भी बेहतर इन्तजाम है। वह उठा और अपने पूरे कमरे की कोने-कोने ठीक से सफाई कर डाली। हर जगह से धूल पोंछी। क्या पता धूल की वजह से ही छींक रही हो किटी। किताबों और बिस्तर के नीचे से भी उसने सफाई की। फिर पांच मिनट को कमरे की सारी खिड़कियाँ भी खोल दीं, ताकि कमरे में ताजी हवा भर जाए और सारी वह पुरानी रातभर की बासी महक निकल जाए। अब उसका साफ-सुथरा कमरा वाकई में चमक रहा था और किटी उछल-उछलकर दीवार पर पड़ती पत्तियों की परछांइयों को पकड़ने की कोशिश कर रही थी। माँ ने जब यह सब देखा तो वह भी मुस्कुराए बिना न रह सकीं। चलो किटी के बहाने ही सही तेरा कमरा तो साफ हुआ, कहती वह किटी को गोद में उठाए , उन दोनों का नाश्ता बनाने नीचे चौके में चली गईं। अब तो टूटू भी मुस्कुरा रहा था , उसकी किटी थी ही इतनी प्यारी।…और फिर जहाँ प्यार हो, सब एक-दूसरे का ध्यान रखते हों, साफ सफाई से रहते हों , वहाँ कोरोना कैसे हो सकता है? हरगिज ही नहीं।
किटी को, मम्मी को , खुद को वह होने ही नहीं देगा करोना।
उसने देखा बाहर बगीचे में मम्मी उसके और अपने दोनों के मास्क धो कर सुखाने के लिए टांग रही थीं।
टूटू अब सोच रहा था कि मम्मी से पूछे तो पूछो कैसे, क्या वह किट्टी के लिए भी कुछ मास्क बना या मंगवा सकती हैं!…
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शैल अग्रवाल

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