मि. शर्मा के दरवाजे पर भारी भीड जमा थी।अचानक नजर पडी तो मैं चौक गई। कहीं रितु को कुछ हो तो नहीं गया?.मेरी मेड जो वहीं खडी थी उसने आकर बताया कि रितु को गिरफ्तार करने पुलिस आयी है.महिला सिपाही भी है।मेरा मन व्याकुल हो गया।रितु शर्मा जी की बेटी थी .उनका इंजीनियर बेटा बाहर दिल्ली में रहता था। परंतु शर्मा दंपति अपना आलीशान मकान होते हुए भी किराये के.मकान में रहते थे।मैने उन दोनो को भी वहां पर खडे देखा।हताश निराश उनकी आंखे आंसुओ से भरी थी।
मुझे याद है यह परिवार हमारी कालोनी का सबसे सुखी संपन्न परिवार था। दो बच्चे. दोनो प्रतिभाशाली। बेटा इंजीनियर तो बेटी एम बी ए .और कालेज में पढाती थी। उसने अपने विवाह के.लिए अपनी मर्जी से जीवन साथी चुना और वे लोग तैयार हो गये बेटी की खुशी के.लिए। लडका विजातीय सिख परिवार से था..और आस्ट्रेलिया में कार्यरत था। जाहिर था कि.समृद्ध भी था। शादी के बाद बेटी के विदेश में रहने की कल्पना से पूरा परिवार खुश था। दिल्ली में जाकर शादी हुई थी। पूरे शौक से दान दहेज देकर। अपने भाई के.विवाह में.वह पति के साथ बहुत खुश लग रही थी। अपनी कालोनी की बेटी के सुखी संसार का आशीर्वाद मैने भी दिया था।..इस बात को कई वर्ष बीत गये थे। शर्मा दंपति भी बेटे के पास जाकर रहने लगे थे।..समय के.साथ समी अपने जीवन में व्यस्त हो गए थे।
पर अचानक एक दिन टीवी के न्यूज चैनल पर एक समाचार लाइव आ रहा था जिसमे रितु अपने गोद में छोटे.बच्चे को.लेकर रो रही थी .पास में मिसेज शर्मा भी खडी थीं। सम्वाददाता के सवालों के जवाब में रितु का बयान टीवी पर हम सबने सुना था।
विवाह के बाद उसका पति उसे दिल्ली में अपने माता पिता के.पास छोडकर आस्ट्रेलिया वापस लौट गया था । दूसरा विवाह भी कर लिया था।इसी बीच दो बच्चे भी हो गए थे।
समाचार में पूरी.बात तो पता नहीं चली थी पर हम सभी लोग बहुत उदास हो गए थे। कुछ दिनों बाद मिसेज शर्मा अपनी बेटी के.साथ वापस आ गई। उनके उतरे हुए चेहरे देखकर मेरी हिम्मत नहीं.हुई कि कुछ पूछूं। एक दिन वो ख़ुद मेरे घर आयीं और कुछ देर मौन रहने के बाद. फूट-फूटकर रोने लगीं। अपने टूटे शब्दों में उन्होने बताया कि मेरी पढी लिखी बेटी वहां मेड बनकर रह गई थी। जब पति के पास जाने की बात करती तो.वे लोग कहते थे- ” कि अब वो कभी वापस नहीं आयेगा। वो तुझे हमारे लिए ही ब्याह कर लाया है।”
बेटी ने जब पूछा कि उन दो बच्चों का क्या होगा?
“पल.ही जायेंगे। उनका बेरुखी जवाब था।
उन्होने आगे बताया कि बडे बेटे के जन्म तक सब ठीक था। पर दूसरे बेटे के जन्म के.समय उसके दिल में छेद और किसी गंभीर बीमारी का पता चला था। डाक्टर ने कहा कि.बच्चा ठीक हो जायेगा लेकिन पैसे बहुत लगेगे इसके इलाज में। वह बहुत नाराज हुआ कि.मै इस बीमार बच्चे को नहीं पालूंगा। ऐसी बीमारी हमारे खानदान में किसी को नहीं है। एक दिन चलती कार से उसे बाहर फेंक दिया और कई दिनों तक घर नहीं आया। बच्चे को अस्पताल ले जाया गया। तब पुलिस की कार्रवाई से मीडिया वाले भी आ गये थे और पूरा समाचार टी वी पर दिखाया गया था।..थोडा पानी पीकर शांत हुईं ।
रितु का अपने पति से.तलाक हो गया था और बडे बेटे को वे लोग जबरन ले गए कि वह उसे नहीं पाल सकेगी। कोर्ट में लाख दुहाई दी गई कि वह पढी लिखी है, नौकरी कर सकती है , अपने बच्चे को पाल लेगी। पर कोई बात नहीं सुनी गई।
उन्होने बच्चे का इलाज करवाया और वह स्वस्थ हो गया। लेकिन धीरे धीरे हमेशा हंसते रहने वाली रितु चुप रहने लगी थी। किसी से बात नहीं करती थी। कई दिनो तक खाना नहीं खाती थी। नहाना धोना भी भूल गई थी। कभी कभी अकारण किसी अदृश्य चीज पर प्रहार करती गुस्से मे बडबडाती। एक दिन हम सबकी सलाह पर वे लोग अस्पताल लेकर गये। डा. ने जांच कर बताया कि वह गंभीर रूप से तनाव ग्रस्त हो गई है।एक दिन अपनी याददाश्त भी खो सकती है, या पागल भी हो.सकती है।
तब उसे अस्पताल में.भर्ती कर दिया गया था। कुछ दिनो बाद वो घर आ गई।
एक दिन मिसेज शर्मा रोती बिलखती आई कि रितु ने अपने पापा के साथ मारपीट कर उनका सिर फोड दिया है। खूब खून बह रहा है आप सब चलिए ।
कुछ लोग जब वहां गये तो शर्मा जी कराह रहे थे। हमारे वार्ड पार्षद ने उनकी पट्टी करवाई थी। उस दिन तो सब.शांत हो गया था.लेकिन फिर यह बराबर होने लगा। मारपीट, तोडफोड होती और वे डर कर घर से बाहर निकल जाते। एक दिन रितु ने उन्हें घर में घुसने ही नहीं दिया।उनका सामान बाहर फेंक दिया। अंतत: वे किसी दूसरी जगह किराये के मकान में रहने लगे थे।
रितु ने घर में ताला लगाकर खुद को अंदर बंद कर लिया। वो छोटे.बच्चे को भी बाहर नही निकलने देती थी। किसी के समझाने का भी कोई असर नहीं पडता था उस पर। पति, विवाह, बच्चे, जिन्दगी, समाज का भय, कितनी बातें थीं जिन्होने उसे उलझा दिया था। उस पर सनक सवार होती तो एक दिन बाहर आकर पूरी सडक को झाडू से साफ करती। कभी घर का कचरा जहां तहां फेंक आती। आनलाइन खाने पीने का राशन का सामान जो उसका भाई भेजता था, उसे जरूर उठा लेती थी।
परंतु आज अचानक पुलिस को देखकर मन सशंकित हो उठा था। क्या हुआ होगा? मेरा मन भयभीत था। तभी सायरन बजाती पुलिस की गाड़ी औएं एबुलेंस वहां से गुजरी। रितु को पुलिस ले जा रही थी।
मैं दौडती हुई उनके घर गई. मिसेज शर्मा का रो रोकर बुरा हाल था। उनसे ही पत चला कि बेटे के बाहर जाकर खेलने की जिद पर रितु ने उसे कुर्सी से बांध कर इतना पीटा था कि वह बेहोश हो गया। उसके चिल्लाने की आवाज से किसी पडोसी ने पुलिस को फोन कर दिया और मिसेज शर्मा को भी। वह इतनी उग्र उत्तेजित हो उठी थी कि महिला सिपाही भी उसे वश में नहीं कर पाई। तब उसे इंजेक्शन लगाकर शिथिल करके मानसिक आरोग्य शाला ले जाया गया। बेटा अस्पताल में। उसका भाई भी आ गया था और सारी व्यवस्था संभाल ली थी। बाद में पता नहीं चला कि उसका क्या हुआ? बेटा बचा या नहीं..पर एक अघोषित मौन छा गया था पूरी कालोनी में।
एक हंसता खेलता परिवार बिखर कर इस तरह टूट जायेगा किसी ने कल्पना भी नहीं की थी। आखिर माता पिता का दोष क्या था? सारे मां बाप की तरह उन्होने भी तो अपनी बेटी की खुशी चाही थी। बेटी के सपने. उसकी प्रतिभा. उसे एक दिन बहुत आगे ले जायेगी. ऐसी सोच रखते थे । पर बेटी का गलत निर्णय.कहें या नयी पीढी की नयी सोच..आज एक सपने का अंत हो गया था।
पद्मा मिश्र, जमशेदपुर