पहले मुर्गी आई या अंडा
सोच का बुरा यह है फंदा
मम्मी मेरी हंसकर बोली
यह तो बात वही है होली
बैठे-बैठे रह जाते सोचते ही
बीज गिरा था पेड़ से पहले
या पेड़ उगा बीज से पहले!
सवाल कितना भी टेढ़ा हो परन्तु एक बात तो निश्चित है कि न तो मुर्गी बिना अंडा ही संभव है और ना ही अंडे के बिना मुर्गी। दोनों ही एक दूसरे पर आश्रित हैं, एक दूसरे से और एक दूसरे में ही अस्तित्व है इनका जैसे कि आदमी और उसके बच्चे का। आदमी नहीं तो बच्चा नहीं और बच्चा नहीं तो वयस्क भी नहीं। तभी तो वर्ड्सवर्थ ने कहा कि चाइल्ड इज द फादर औफ द मैन, यह बच्चा ही है जो बड़ा होता है, बड़े होने पर भी हमारे अंदर रहता है। फिर इस पहेली को कैसे सुलझाएँ कि कौन पहले आया?
वाकई में न तो कुछ सवालों के जवाब हैं हमारे पास और ना ही कुछ समस्याओं के ही। फिर करोना ने तो पिछले तीन वर्ष में बहुत कुछ बदल दिया है, हमारे जीने का तरीका, सोचने का तरीका , हमारे अधिकार और आजादी तक। रही-सही कसर पूरी कर दी है रूस के सालभर से चल रहे यूक्रेन के संग के इस युद्ध ने। बहुत कुछ तहस-नहस हो चुका है और तेजी से होता जा रहा है… आत्म विश्वास के साथ-साथ , घर-परिवार, आपसी प्रेम-विश्वास सभी कुछ, सिर्फ यूक्रेन और रूस में ही नहीं, पूरे विश्व में क्योंकि हमने अपनी तरफ से देश आदि में बांट भले ही लिया हो, है तो धरती एक ही..,
चारो तरफ एक सावधान और सतर्क रवैया है अब भविष्य के लिए। भय है भविष्य के लिए- पर हमारे आत्ममुग्ध नेताओं का यह भस्मासुर नृत्य अब और कबतक आखिर!
बढ़ती कीमतों और घटते पृथ्वी के प्राकृतिक खनिज जैसे पैट्रोल और गैस आदि की बरबादी ने दुनिया के अमीर-से-अमीर देशों को भी सोचने और समझने , सतर्क होने पर मजबूर कर दिया है। सभी शिकार हुए हैं इन अनचाही परिस्थितियों के परन्तु सबसे अधिक असर पड़ा है नन्हे सुकुमार बालमनों पर उनकी परिस्थितियों पर। सुनते हैं अमीर देशों को भी गरीबी की मुश्किलों ने जकड़ लिया है और सैकड़ों बच्चों को दो वक्त का गरम खाना तक नहीं मिल पा रहा। यह वजह जरूरी नहीं कि मात्र आर्थिक ही हो हर देश में। मानसिक असंतुल, एकाकी पन , असुरक्षा और भय वयस्कों में-यह भी इसकी वजह हो सकती है। दो दशक पहले क्रिसमस पर बैंडएड ग्रूप का एक गाना नं एक पर पहुँचा था जिसके बोल थे-फीड द वर्ड और इसबार उसी गाने का नया वर्जन आया है-फीड द ब्रिटिश। एक बात तो निश्चित है कि सभी कठिन वक्त से गुजर रहे हैं और बच्चों की अवहेलना हो रही है। सामाजिक कार्यकर्ता और देश के कर्णाधार ही नहीं, हर नागरिक की जिम्मेदारी बनती है कि हम अपनी आँखो से स्वार्थ की पट्टी खोलें और जहाँ भी जैसी भी मदद कर सकते हैं करें। ध्यान दें कि आसपास कोई भूखा तो नहीं सो रहा-अकेला-अकेला अवसाद में तो नहीं डूब रहा। कठिन वक्नत है यह सभी के लिए। हमारे नव निर्वाचित प्रधानमंत्री रिषि सूनक से बेहतर भला कौन इसे समझ सकता है , जिनकी कार्य-प्रणाली को भांति-भांति की हड़तालों ने पूर्णतः अवरुद्ध कर रखा है। वाकई में यह प्रधान मंत्री का पद कांटों का ताज ही तो है इस वक्त फिर भी जिस धैर्य और समझ से वह इससे निपटने की कोशिश कर रहे हैं, ब्रिटिश मीडिया भले ही मजाक उड़ाए, परन्तु हम एशियन जानते हैं कि मुश्किल में धैर्य और विवेक ही सबसे बड़े शस्त्र भी हैं और औजार भी।
बाहर कितना भी ठंडा कुहासा हो, हम यह भी नहीं भूल सकते कि नए वर्ष का नया नवेला पहला अंक है यह और वह भी बच्चों के लिए। पूरी तरह से उनके ही इर्दगिर्द चुना और संजोया गया। बहुत कुछ संजोया है हमने इस अंक में इस उदासी और अँध कुहासे को तोड़ने के लिए। पूरी कोशिश की है कि स्वर और तेवर सकारात्मक रहे, मनोरंजक हों। जहाँ संभव हो सोचने और कुछ सीखने को मिले।
इस नए अंक के साथ हम स्वागत कर रहे हैं लेखनी परिवर में मंजु रुस्तगी और चद्र प्रभा सूद जी दो और सशक्त महिला रचनाकारों का। शशि लाहौटी का उनकी खूबसूरत बाल कविता के साथ। उम्मीद है भविष्य में भी ऐसे ही प्रबुद्ध रचनाकारों का स्नेह मिलता रहेगा और लेखनी का यह कारवाँ ऐसे ही चलता रहेगा।
सभी मित्रों को नववर्ष की हार्दिक बधाई और शुभकामनायें।
चलते-चलतेः सूचना मिली है कि हिन्दी के अप्रतिम प्रेमी और संरक्षक, एक बेहद आत्मीय प्रेमी इ्सान , राजनैता, वकील और कवि श्री केसरी नाथ त्रिपाठी जी का देहावसान हो गया है । लेखनी परिवार की तरफ से उन्हें सादर, भावपूर्ण श्रद्धांजलि। आपका मिलनसार व्यक्तित्व और हम ब्रिटेन-वासियों को जो आपका सहज स्नेह व अपनापन मिला, उसके लिए हम सभी आपको आजीवन याद रखेंगे। भगवान आपको अपने श्री चरणों में स्थान दे, इसी कामना के साथ पुनः-पुनः स्मृति नमन।
पुनश्च-लेखनी का अगला अंक प्रेम विशेषांक है-प्रेम जो एक शाश्वत भाव है-पुरुष में भी और प्रकृति में भी। आपकी रचनाओं का हमें इन्तजार रहेगा , दोनों हिन्दी और अंग्रेजी भाषा में। भेजने की अंतिम तिथि है -15 फरवरी है। यह लेखनी का 16 वाँ जन्मदिन विशेशांक हैं। अनुरोध है बड़ी-से बड़ी संख्या में शामिल होकर इसे सफल बनायें। ई.मेल आई.डी. है-shailagrawal@hotmail.com
शैल अग्रवाल
1ए, ब्लैकरूट रोड, सटन कोल्डफील्ड
वैस्ट मिडलैंड्स, यू.के.