2021 में हिन्द युग्म प्रकाशन से प्रकाशित अनिता रश्मि के कहानी संग्रह ‘सरई के फूल’ का विमोचन राँची के बेतार केंद्र, अनंतपुर में संपन्न हुआ। अखिल भारतीय साहित्य संस्कृति मंच के झारखंड शाखा के तत्वाधान में इसका आयोजन किया गया। कार्यक्रम की शुरुआत कवयित्री सुरिन्दर कौर नीलम की संस्कृति वंदना से हुई।
‘सरई के फूल’ में 12 कहानियों का संसार हैं। अधिकांश कहानियाँ चर्चित राष्ट्रीय-अंतर्राष्ट्रीय पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हो चुकी हैं यथा ज्ञानोदय, कथाक्रम, लोकमत, प्रभात खबर, विश्वगाथा, लेखनी.नेट आदि में। इस कहानी संग्रह में जनजातीय विरोध के स्वर, उनके मन मिजाज की, आदिवासी संस्कृति, उनके राग-विराग, समस्या, अंधविश्वासजनित शोषण और उनकी पहचान संबंधी कहानियाँ संकलित हैं।
स्वभावतः सरल और भोले आदिवासी 1857 के सिपाही गदर से पूर्व ही महाजनों, जमींदार शोषकों के साथ अंग्रेजों का विरोध करते रहे हैं। उन्होंने स्वतंत्रता आंदोलन में भी बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया था और अपनी शहादत दी थी। कितने स्वतंत्रता सेनानियों के बारे में लोगों को पता तक नहीं। कुछेक ज्ञात-अज्ञात शहीदों पर भी कथाओं के माध्यम से प्रकाश डाला गया है।
गांँधी जी से प्रेरित जतरा भगत के अनुयायी टाना भगत, सिद्धो-कान्हूँ, बिरसा मुंडा सहित 1971 में दुश्मनों से लोहा लेते हुए अपनी जान गँवा देनेवाले परमवीर चक्र विजेता लांस नायक अल्बर्ट एक्का तक की कथाओं से परिचय मिलता है इन कहानियों में।
कोविड की असामान्यतः स्थितियों के पश्चात आयोजित महत्वपूर्ण कार्यक्रम में एक साथ चार पुस्तकों का विमोचन हुआ। वे हैं – झारखंड साहित्य संस्कृति मंच के अध्यक्ष कामेश्वर प्रसाद श्रीवास्तव के काव्य संग्रह ‘कोरोना कहर’, कथाकार, कवयित्री अनिता रश्मि के कहानी संग्रह ‘सरई के फूल’, कामेश्वर प्रसाद श्रीवास्तव और आशुतोष प्रसाद द्वारा संपादित ‘ऊर्दू के कलमकार, हिंदी से प्यार’ और कवि, आलोचक निरंजन प्रसाद श्रीवास्तव जी के काव्य-संग्रह ‘समय की रेत पर’।
विद्वान व्यंग्यकार, कवि अशोक प्रियदर्शी ने ‘सरई के फूल’ कहानी संग्रह, डॉ० मंजर हसन और कवयित्री राजश्री जयंती ने संपादित पुस्तक पर, छपरा, बिहार से आए रामेश्वरनाथ मिश्र ‘विहान’ ने निरंकुश जी के काव्य संग्रह पर और बिनोबा भावे विश्वविद्यालय, हिन्दी विभाग के पूर्वाध्यक्ष डॉ० शिवनन्दन सिन्हा ने निरंजन प्रसाद श्रीवास्तव के काव्य संग्रह पर सारगर्भित कृति चर्चाएँ कर पुस्तकों की उपयोगिता और सार्थकता पर प्रकाश डाला।
पुस्तकों के लेखकों ने अपनी-अपनी कृतियों की रचना प्रक्रिया पर बात रखी।
डॉ० सुरिन्दर कौर नीलम एवं अभिनेता, कवि सूरज श्रीवास्तव ने कामेश्वर प्रसाद श्रीवास्तव की कविताओं का सस्वर वाचन किया। ‘समय की रेत पर’ की कविताओं ‘मैं शब्द हूँ’, ‘पेड़ की व्यथा’ और ‘हेमंत की सन्ध्या’ का रंगकर्मी, फिल्मकार, फोटोग्राफर सुशील अंकन के धीर-गंभीर स्वर में किए गए पाठ ने खूब वाहवाही बटोरी।
मंचासीन अतिथियों को अंग वस्त्र, प्रतीक चिन्ह, पुष्प गुच्छ देकर सम्मानित किया गया।
अभिनेता, कवि, मंच के सचिव राकेश रमण ने अतिथियों का स्वागत किया। मुनमुन ढाली का संचालन, झारखंड साहित्य संस्कृति मंच के संयुक्त सचिव वैद्यनाथ मिश्र के संस्कृत के श्लोक संग धन्यवाद ज्ञापन सराहनीय रहा। समारोह में उद्भट विद्वान हरे राम त्रिपाठी, पूर्व जज सीमा सिन्हा, कवयित्री, कथाकार डाॅ. माया प्रसाद, कथाकार वासुदेव, राम कुमार तिवारी, कवि कुमार बिजेन्द्र, मुक्ति शाहदेव, चन्द्रिका ठाकुर देशदीप सहित राँची के काफी नामचीन साहित्यकार उपस्थित थे।