बहराइच (उ.प्र.)। शहर के हमजापुरा स्थित राम जानकी मंदिर में अखिल भारतीय साहित्य परिषद् की बहराइच शाखा की ओर से 27 अक्टूबर 2022 को एक सरस काव्य गोष्ठी एवं परिचर्चा का आयोजन किया गया| जिसका निर्देशन परिषद् के प्रांतीय उपाध्यक्ष गुलाब चन्द्र जायसवाल एवं जिलाध्यक्ष शिव कुमार सिंह रैकवार द्वारा किया गया। गोष्ठी में अध्यक्ष के रूप में किसान महाविद्यालय के हिंदी विभाग से जुड़े रहे वरिष्ठ साहित्यकार राधेश्याम पाण्डेय, मुख्य अतिथि के तौर पर साहित्य भूषण राम करन मिश्र सैलानी तथा विशिष्ठ अतिथि के रूप में डॉ. वेद मित्र शुक्ल एवं गुरु प्रसाद सिंह जायसवाल उपस्थित रहे। इस अवसर पर दिल्ली विश्वविद्यालय में आंग्ल भाषा के प्रो़फेसर डॉ. वेद मित्र शुक्ल ने अपनी पुस्तक, ‘एक समंदर गहरा भीतर,’ की प्रति अखिल भारतीय साहित्य परिषद् को भेंट की। परिषद् के महामंत्री रमेश चंद्र तिवारी ने भी अपनी पुस्तक, ‘दी राइज आफ नमो एन्ड न्यू इंडिया,’ की एक प्रति सौंपी। इस दौरान मुख्य वक्ता के रूप में असम से आये ग़ज़लकार व समालोचक डॉ. दिनेश त्रिपाठी शम्स ने डॉ. शुक्ल के कविता-संग्रह ‘एक समंदर गहरा भीतर’ पर अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि कविता-संग्रह हिंदी सॉनेटों का संग्रह है| वेद मित्र ने यह सॉनेट संग्रह रचकर हिंदी कविता को और विस्तार दिया है|
काव्य पाठ की शुरुआत अयोध्या प्रसाद नवीन ने वाणी वंदना पढ़कर की। तदुपरांत कवि विनोद कुमार पांडेय ने एक व्यंग्य पढ़ा – राम काल्पनिक बने थे अब गीता भई जिहाद। अमर सिंह विसेन ने पढ़ा -राह में यूं अकेला नहीं छोड़ना, मैं सुदामापुरी हूं, और तुम द्वारिका। वीरेश पांडेय ने पढ़ा-तब एक शारदा वीणा ले अवतार जगत में लेती है, रसहीन विकर्षण भरे जगत को ध्वनि कंठा स्वर देती है। कवि आशुतोष ने पढ़ा-अंतस का तम मिट न सका तो दीप जलाने से क्या होगा, मिटी न दूरी जो हृदयों की ह्रदय लगाने से क्या होगा। डॉ. दिनेश त्रिपाठी शम्स ने पढ़ा – भाषणों में जिक्र मरहम का सदा, लेकिन हमारे देश का नेता हमें बस घाव ही देगा। कार्यक्रम में डॉ. राधे श्याम पांडेय, कवि गुलाब जायसवाल, रमेश चन्द्र तिवारी, वेद मित्र शुक्ल व विमलेश विमल ने भावात्मक रचनाओं से लोगों के हृदय छू लिए।
गोष्ठी एवं परिचर्चा के बाद संरक्षक विक्रम जायसवाल की ओर से अन्नकूट पर्व पर भंडारे का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में पूर्व सहकारिता मंत्री मुकुट बिहारी वर्मा तथा सांसद अक्षयवरलाल गोंड भी बतौर अतिथि मौजूद रहे। साथ ही, पं. राकेश कुमार दुबे, कैलाश नाथ डालमिया, आयुष जायसवाल, बजरंग कुमार मिश्र, प्रेम कुमार जालान, राम गोपाल चौधरी आदि की भी सहभागिता रही।
प्रेषकःवेदमित्र शुक्ला
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