(कल 17 अगस्त 2014 को हम सबके प्रिय और सम्मानित मित्र , शिक्षक व भाषाविद, ब्रिटेन की महारानी से एम. बी. ई. की उपाधि से अलंकृत, श्री वेद मोहला जी का निधन हो गया। वे 76 वर्ष के थे और पिछले कुछ वर्षों से कैंसर जैसी भयानक बीमारी से जूझ रहे थे।
हिन्दी सीखने को उत्सुक ब्रिटेन की युवा पीढ़ी के लिए यह एक अभूतपूर्व क्षति है। आपने हिन्दी की शिक्षा के क्षेत्र में अथक काम किया और कई किताबों के साथ साथ कैम्ब्रिज विद्यालय के लिए हिन्दी का पाठ्यक्रम भी बनाया। आप वेदमित्र के नाम से लिखा करते थे । यू.के के हिन्दी प्रेमी ही नहीं, लेखनी के पाठक भी उनसे अपरिचित नहीं।
2010 में श्री कैलाश बुधवार जी द्वारा लिये गये एक साक्षात्कार के दौरान वेद मोहला जी ने कहा था, “मैं 1979 में एक सामाजिक कार्यक्रम में सपरिवार गया। मेरे पांच वर्षीय पुत्र ने एक महिला रेणुका बहादुर के पूछने पर बताया कि वह हिन्दी बोल तो सकता है, परन्तु लिख-पढ़ नहीं सकता। उन्होंने आगे पूछा कि क्या लिखना-पढ़ना भी चाहोगे, तो बच्चे ने उत्साहपूर्वक कहा: ‘हां, अवश्य, यदि मेरे पिताजी आज्ञा दें।’ आज्ञा लेने जब रेणुका बहादुर मेरे पास आईं, तो न जाने क्यों मेरे मुंह से निकल गया, “हिन्दी सिखाने के लिए इसे साथ लाना तो क्या, मैं स्वयं भी पढ़ाने के लिए आ सकता हूं।” उस वाक्य ने मेरे जीवन की दिशा ही बदल डाली। न केवल तब हिन्दी विद्यालय की नींव पड़ी, बल्कि तब से जीवन का प्रत्येक रविवार हिन्दी अध्यापन के लिए समर्पित हो गया और मैं एक अध्यापक बन गया।”
एक सहज और कर्मठ मित्र को लेखनी परिवार की ओर से भावभीनी श्रद्धांजलि ।
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