लेखनी- दिसंबर/ जनवरी 2015
सोच और संस्कारों की सांझी धरोहर
Lekhni Bridging The Gap
कितनी तहों के नीचे अंधेरों में डूबी रोशनी
रोज़ की टूट-फूट में बचा कितना कुछ
ध्वंस के मुहाने पर कमाल कितना
एक परिंदा फूल-सी हँसी लिए डोल रहा
-मुक्तिबोध
( अंक 90- वर्ष 8)
कितने कितने भय
इस अंक में:
अपनी बात। अभिनंदन नव वर्ष। कविता धरोहरः गजानन माधव मुक्तिबोध। कविता आज और अभीः भय कुछ कविताएँः दूधनाथ सिंह, लीलाधर मंडलोई, लीलाधर जगूड़ी, शैलजा सक्सेना, पंखुरी सिन्हा, शैल अग्रवाल, सुमन कुमारी, अंमिताभ विक्रम द्विवेदी, सुशांत सुप्रिय, अमित आनंद, ध्रुव गुप्त । माह की कवियत्रीः इला कुमार। गीत और गजलः प्राण शर्मा। क्रिसमस हायकूः सरस्वती माथुर। बाल कविताः।
परिचर्चाः ओशो। मंथनः विजय शिंदे। कविता में इन दिनोः ओम निश्चल। विमर्शः शैल अग्रवाल। कहानी धरोहरः मुक्तिबोध। कहानी समकालीनः सुशांत सुप्रिय। कहानी समकालीनः शैल अग्रवाल। कहानी समकालीनः सुधा भार्गव। लघुकथाः फजल इमाम मलिक, । भाग 15-धारावाहिक मिट्टीः शैल अग्रवाल। हास्य व्यंग्यः वीरेन्द्र यादव।
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