रूप निखारे
नयनों में कजरा
हिया में पिया
लगें सुहाने
पायल औ बिछिया
नथिया बिंदी
सखी सहेली
छमछम डोलतीं
दिखे तो चंदा
त्योहार नहीं
वादा है प्यार का
त्याग भरा
संकल्प जल
ले पावन करवे
सजे अनूठे
चंदा झूमर
तारों जड़ी चूनर
सजती गोरी
चांद के साथ
अमृत घट नभ से
उतरा नीचे
चंदा तुम ही
चांदनी मैं तुम्हारी
साथ हूँ सदा
प्रेम पगी थी
पिय पर ही वारी
रात अनूठी
त्योहार का
स्वाद ये मिठास
रीते ना कभी…
-शैल अग्रवाल
प्रेम पर्व सा
आता करवा चौथ
चाँद को भाता
प्रेम रस ले
करवा सिकोरे में
रूप निखरे
करवा चौथ
बंधन अनमोल
पिया है पास
अनंत प्यार
चाँद से है छनता
चौथ के दिन
पति पत्नी का
सम्बन्ध अनुपम
चाँद है साक्षी
अटूट रिश्ता
चाँद डोरी से बांधे
करव़ा चौथ
प्रेम के तार
चाँद से बरसाते
रस फुहार
चाँद ने बाँधा
चाँदनी के तारों से
मन पिया का
पिया को देख
सजनी की आँखों में
चाँद उतरा
नभ के माथे
चाँद का टीका सजा
चौथ है आयी
सरस्वती माथुर