रूस भारत का पुराना मित्रः शिबेन कृष्ण रैना

संयुक्त राष्ट्र संघ में मतदान के दौरान भारत अनुपस्थित रहा, उसने किसी के भी पक्ष में मत नहीं दिया I ठीक किया। रूस भारत का पुराना और विश्वसनीय मित्र रहा है जिसने प्रत्येक संकट की घड़ी में भारत का साथ दिया है, जबकि यूक्रेन हमेशा भारत के खिलाफ रहा है Iयाद कीजिये नेहरू युग में कैसे कश्मीर मसले पर बहस के दौरान रूस ने हमारे पक्ष में वीटो का इस्तेमाल किया था अन्यथा कश्मीर के हाथ से चले जाने में देर न लगती।

प्रत्येक देश को अपने हितों को ध्यान में रखकर नीति निर्धारित करने का अधिकार है I रूस-यूक्रेन युद्ध में भारत भी अपने हितों को ध्यान में रखकर कदम उठा रहा है।यूक्रेन में फँसे भारतीयों को स्वदेश लाने की उसकी पहली प्रस्थमिकता होनी चाहिये।

आज वे लोग, जो यूक्रेन के साथ सहानुभूति दिखा रहे हैं, उन्हें यह नहीं भूलना चाहिए कि यूक्रेन ने न तो परमाणु परीक्षण के मुद्दे पर भारत का कभी साथ दिया और न ही आतंकवाद के मुद्दे पर कभी भारत के साथ खड़ा हुआ है। वर्ष 1998 में जब भारत ने पोखरण में परमाणु परीक्षण किया था, उस समय संयुक्त राष्ट्र की सुरक्षा परिषद में भारत पर कड़े आर्थिक प्रतिबंध लगाने के लिए एक प्रस्ताव लाया गया था। इस प्रस्ताव को दुनिया के जिन 25 देशों ने पेश किया था, उनमें यूक्रेन प्रमुख था। यूक्रेन ने तब संयुक्त राष्ट्र के मंच से यह मांग की थी कि भारत के परमाणु कार्यक्रम को बन्द करवा देना चाहिए और उस पर कड़े आर्थिक प्रतिबंध लगा कर उसे अलग-थलग कर देना चाहिए। यूक्रेन उस समय पाकिस्तान की भाषा बोल रहा था।

यूक्रेन पिछले तीन दशकों से पाकिस्तान को हथियार बेचने वाले सबसे बड़ा देश बना हुआ है। यानी पाकिस्तान की हथियारों की जरूरत यूक्रेन ही पूरा करता है। एक सूचना के मुताबिक पिछले 30 वर्षों में पाकिस्तान यूक्रेन से 12 हजार करोड़ रुपये के हथियार खरीद चुका है। आज पाकिस्तान के पास जो 400 टैंक हैं, वे यूक्रेन के द्वारा ही उसे बेचे गए हैं। इसके अलावा यूक्रेन फाइटर जेट्स की तकनीक और स्पेस रिसर्च में भी पाकिस्तान की पूरी मदद कर रहा है। यानी भविष्य में पाकिस्तान स्पेस में जो भी विस्तार करेगा, उसके पीछे यूक्रेन का हाथ होगा।

सोचने वाली बात है कि जो यूक्रेन भारत विरोधी प्रस्ताव लाता है, पाकिस्तान का सबसे बड़ा हमदर्द है, क्या भारत को ये सबकुछ भूल कर, इस लड़ाई में उसके लिए कूद जाना चाहिए? ये जानते हुए कि अगर भारत ने यूक्रेन का साथ दिया भी, तब भी यूक्रेन पाकिस्तान के लिए ही वफादार रहेगा। क्योंकि वो कभी नहीं चाहेगा कि पाकिस्तान किसी भी वजह से उससे हथियार खरीदने बन्द कर दे।

हमें यूक्रेन के नागरिकों के साथ पूरी सहानुभूति है क्योंकि इस युद्ध में उनकी कोई गलती नहीं है। लेकिन हमें यूक्रेन का भारत विरोधी रुख भी याद रखना चाहिए और यह बात समझनी चाहिए कि यूक्रेन एक ऐसा देश है, जिसने कभी भारत का साथ नहीं दिया बल्कि हमेशा विरोध में ही रहा।

डा० शिबन कृष्ण रैणा
अलवर, राजस्थान

About Lekhni 156 Articles
भाषा और भूगोल की सीमाएँ तोड़ती, विश्व के उत्कृष्ट और सारगर्भित ( प्राचीन से अधुधिनिकतम) साहित्य को आपतक पहुंचाती लेखनी द्विभाषीय ( हिन्दी और अंग्रेजी की) मासिक ई. पत्रिका है जो कि इंगलैंड से निकलती है। वैचारिक व सांस्कृतिक धरोहर को संजोती इस पत्रिका का ध्येय एक सी सोच वालों के लिए साझा मंच (सृजन धर्मियों और साहित्य व कला प्रेमियों को प्रेरित करना व जोड़ना) तो है ही, नई पीढ़ी को इस बहुमूल्य निधि से अवगत कराना...रुचि पैदा करना भी है। I am a monthly e zine in hindi and english language published monthly from United Kingdom...A magzine of finest contemporary and classical literature of the world! An attempt to bring all literature and poetry lovers on the one plateform.

Be the first to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published.


*


This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.

error: Content is protected !!