बाबा साहब अंबेडकर को श्रद्धांजलि: नामदेव हिन्दू कालेज, दिल्ली में वेबिनार

बाबा साहब अंबेडकर के कामों को आगे बढ़ाना ही सच्ची श्रद्धांजलि: अंबेडकर का योगदान बहुत व्यापक था, वे समाज के सभी वर्ग के समावेशी विकास के हिमायती थे। उनके चिंतन की महत्ता आज के समय में अत्यधिक है, अतः उनके कामों को आगे बढ़ाना, उनके मूल्यों पर चलना ही, उनके प्रति सच्ची श्रद्धांजलि होगी। बाबा साहब के 130वें जन्मदिवस पर, हिन्दू कॉलेज में आयोजित वेबिनार में, मुख्य वक्ता और जाने माने लेखक डॉ नामदेव ने ‘बाबा साहब आंबेडकर का अवदान’ विषय पर कहा कि बाबा साहब के व्यक्तित्व की खूबियाँ और उनके दर्शन की प्रासंगिकता समय के साथ और अधिक उपादेय सिद्ध हुई हैं। उन्होंने कहा कि एक राष्ट्र के रूप में हमारी प्रगति में बाबा साहब के विचारों और उनके द्वारा निर्मित संविधान का बड़ा योगदान है क्योंकि समावेशी हुए बिना कोई देश प्रगति नहीं कर सकता। डॉ नामदेव ने महिलाओं और पिछड़ों के प्रति उनके वैज्ञानिक और व्यवहारिक दृष्टिकोण की सराहना करते हुए, भारत सरकार की कई परियोजनाओं, जैसे बेटी बचाओ बेटी बचाओ योजना, का प्रेरणा स्रोत अंबेडकर के ही चिंतन को माना। अपने व्याख्यान के दूसरे भाग में उन्होंने साहित्य पर अम्बेडकरवादी विचारधारा के प्रभाव का अर्थ स्पष्ट किया और दलित साहित्य की उपादेयता के सम्बन्ध में विचार रखे। उन्होंने कहा कि बाबा साहब अपने व्यवहारिक, वैज्ञानिक दृष्टिकोण को लेकर जिस दुनिया की कल्पना करते हैं, वह समानता और करुणा के नींव पर बनती है। उनके सपनों के आदर्श भारत में सभी एक दूसरे को करुणा और समानता के भाव से देखते हैं। उनकी संकल्पना भाईचारे की संकल्पना है। इस संकल्पना में दलित साहित्य की बड़ी और उदात्त भूमिका है जिसका श्रेय बाबा साहब के विचारों को जाता है। उन्होंने नयी पीढ़ी से बाबा साहब आंबेडकर के साहित्य को पढ़ने का आह्वान किया ताकि उनके विचारों को सही परिप्रेक्ष्य में और बिना पूर्वाग्रहों के समझा जा सके।
उन्होंने विद्यार्थियों के प्रश्नों का जवाब देते हुए अंबेडकर के राष्ट्रवाद और राष्ट्रीयता की परिकल्पना को भी स्पष्ट किया। उन्होंने कहा कि अंबेडकर का चिंतन जीवन जीने का तरीका सीखाता है। महात्मा बुद्ध, कबीर और ज्योतिबा फुले उनके आदर्श थे। उनकी समझ मात्र राजनीतिज्ञ की नहीं थी अपितु एक कुशल अर्थशास्त्री की भी थी। उनके विचार बहुत वैज्ञानिक थे। प्रश्नोत्तर सत्र का संयोजन प्रखर दीक्षित ने किया।
इस व्याख्यान के प्रारम्भ में हिंदी और बी ए प्रोग्राम विभाग के प्रभारी डॉ० पल्लव ने बाबा साहब के चिंतक, लेखक और विद्वान के रूप में उनके महत्त्व को रेखांकित करते हुए कहा कि उन्हें केवल दलित उद्धारक मानना अनुचित है क्योंकि स्त्रियों के सम्बन्ध में उनके वैचारिक और संवैधानिक योगदान का बड़ा भारी महत्त्व है। हिंदी साहित्य सभा के संयोजक हर्ष उरमलिया ने वक्ता डॉ नामदेव का संक्षिप्त परिचय दिया। व्याख्यान का संयोजन डॉ धर्मेंद्र प्रताप सिंह ने किया। कार्यक्रम के अंत में बी ए प्रोग्राम विभाग की छात्रा अध्यक्षा हर्षिनी ने आभार ज्ञापन किया।
कार्यक्रम में हिन्दू कॉलेज के हिंदी और बी०ए० प्रोग्राम के विद्यार्थियों व प्राध्यापकों के साथ साथ किरोड़ी मल कॉलेज के विद्यार्थियों समेत अनेक शोधार्थी और अध्यापक भी उपस्थित रहे। व्याख्यान को गूगल मीट के साथ फेसबुक पर भी प्रसारित किया गया।

श्रेयस श्रीवास्तव
हिंदी साहित्य सभा
हिन्दू कालेज, दिल्ली

About Lekhni 153 Articles
भाषा और भूगोल की सीमाएँ तोड़ती, विश्व के उत्कृष्ट और सारगर्भित ( प्राचीन से अधुधिनिकतम) साहित्य को आपतक पहुंचाती लेखनी द्विभाषीय ( हिन्दी और अंग्रेजी की) मासिक ई. पत्रिका है जो कि इंगलैंड से निकलती है। वैचारिक व सांस्कृतिक धरोहर को संजोती इस पत्रिका का ध्येय एक सी सोच वालों के लिए साझा मंच (सृजन धर्मियों और साहित्य व कला प्रेमियों को प्रेरित करना व जोड़ना) तो है ही, नई पीढ़ी को इस बहुमूल्य निधि से अवगत कराना...रुचि पैदा करना भी है। I am a monthly e zine in hindi and english language published monthly from United Kingdom...A magzine of finest contemporary and classical literature of the world! An attempt to bring all literature and poetry lovers on the one plateform.

Be the first to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published.


*


This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.

error: Content is protected !!