चाँद परियाँ और तितली-चार बाल कविता-रामेश्वर काम्बोज हिमांशु


नन्हीं चींटी
कभी न थकती चलती रहती,
नन्हीं चींटी ।
गरमी से घबराना कैसा
सरदी में रुक जाना कैसा
भूख- प्यास सब कुछ है सहती , नन्हीं चींटी ।
सीखो सदा प्रेम से रहना
हँसकर दुख सुख सारे सहना
‘मेहनत करके जिओ’-कहती नन्हीं चींटी ।

फल
सबसे मीठा और रसीला
सभी फलों का राजा आम।
एक सेब जो खाए रोज़
उसे बीमारी से क्या काम ।
नाशपाती ,केला ,अंगूर
पपीता भी खाओ ज़रूर ।
लीची ,नारंगी अनानास
नींबू का रस सबसे खास ।


मीठी बोली
कुहू-कुहू कर कोयल बोली
कानों में मिसरी –सी घोली ।
बाग़ बगीचे गूँज उठे हैं ,
नाच उठी बच्चों की टोली ।
डोल रही है डाल-डाल पर ,
सबके मन में खुशियाँ भरती ।

रेल चली
आओ सारे बच्चो आओ
एक-एककर सब जुड़ जाओ ।
अब देखो अपनी रेल चली
यह रेल चली है गली-गली॥
रघुबीर बना इसका इंजन
बन गया गार्ड है कमलनयन ।
नदियाँ- नाले –मैदान हरे
सब गाँव- शहर यह पार करे।

रामेश्वर काम्बोज-हिमांशु

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